इकोनॉमी को रफ्तार देंगी पीएसयू, पूर्व निर्धारित खर्च पर आगे बढ़ने से कैश-फ्लो बढ़ेगा, इकोनॉमी को मिलेगी मदद
इकोनॉमी को गति देने के लिए केंद्र सरकार के तहत आने वाले सार्वजनिक उपक्रम यानी पीएसयू कंपनियां बड़ी मददगार साबित होने वाली हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इकोनॉमी को गति देने के लिए केंद्र सरकार के तहत आने वाले सार्वजनिक उपक्रम यानी पीएसयू कंपनियां बड़ी मददगार साबित होने वाली हैं। वित्त मंत्रालय ने सभी पीएसयू को निर्देश दिया है कि उन्होंने कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में जितनी राशि खर्च करने की योजना बनाई है, उसे पूरा खर्च करें। साथ ही वेंडरों से खरीदे गए सामान का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। ऐसा होने पर कारोबारी गतिविधियों में इजाफा होगा जिससे अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को महारत्न और नवरत्न पीएसयू के प्रमुखों और अधिकारियों की एक बैठक में इस संबंध में निर्देश दिया। वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव अतानू चक्रवर्ती और व्यय विभाग के सचिव जीसी मुमरू की उपस्थिति में हुई इस बैठक में ढांचागत मंत्रालयों के फाइनेंशियल एडवाइजर भी शामिल थे। बैठक के दौरान विभिन्न मंत्रालयों और पीएसयू के कैपिटल एक्सपेंडिचर की समीक्षा की गयी। उन्हें कैपिटल एक्सपेंडिचर का लक्ष्य पूरा करने और निवेश गतिविधियां बढ़ाने को कहा गया।
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि पीएसयू जो खरीद करते हैं उसका भुगतान समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित किया जाए। अगर किसी कंपनी का भुगतान विवाद के चलते फंसा हुआ है तो उसे भी निपटाने पर चर्चा की गई। वित्त मंत्रालय विभिन्न पीएसयू तथा अन्य मंत्रालयों की बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की निगरानी करेगा और आगे भी इस तरह की बैठकें की जाएंगी। बैठक के बाद ओएनजीसी के कार्यकारी निदेशक एनसी पांडेय ने कहा कि 87,000 करोड़ रुपये की 27 परियोजनाएं चल रहीं हैं और इन्हें तीन से चार साल में पूरा कर लिया जाएगा। पेमेंट से संबंधित मुद्दों पर पांडेय ने कहा कि पेमेंट निर्धारित तारीख से पहले करने का प्रयास करना चाहिए।
यह बैठक ऐसे समय बुलाई गई है, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमी को रफ्तार देने के इरादे से एक पखवाड़े में दो बार राहत उपायों की घोषणा की है। उन्होंने 23 अगस्त को 32 सूत्री उपायों की घोषणा की। उसके बाद 30 अगस्त को 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाने का एलान किया।
इकोनॉमी पर दबाव
आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर पांच परसेंट रह गई है, जो छह वर्षो में सबसे कम है। यही वजह है कि सरकार एक के बाद एक उपाय कर रही है। सीतारमण अर्थव्यवस्था का हाल जानने के लिए देश के अलग-अलग शहरों का दौरा भी कर रही हैं। शुक्रवार को भी वे कोलकाता में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स अधिकारियों तथा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रहीं थीं।
बैठक में ये थे शामिल
बैठक में पीजीसीआइएल के सीएमडी, एनटीपीसी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआइ के मेंबर (फाइनेंस), सेल के निदेशक वित्त और जीईएम के सीईओ भी शामिल हुए। रेल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, एनएचएआइ, शिपिंग, बिजली, नागर विमानन, आवास एवं शहरी विकास, जल शक्ति, ग्रामीण विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के फाइनेंशियल एडवाइजर भी बैठक में मौजूद रहे।