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त्योहारी सीजन में कर्ज बांटने में नहीं चलेगी कोताही, बैंकों व एनबीएफसी प्रमुखों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की दो टूक

वित्त मंत्री सीतारमण ने बैंकों को यह भी कहा है कि उन्हें मोरेटोरियम की सुविधा लेने वाले ग्राहकों व कोविड की वजह से कर्ज नहीं चुका पाने वाले ग्राहकों के लिए नई समाधान योजना 15 सितंबर 2020 तक तैयार कर लेनी चाहिए। (PC PTI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 08:04 AM (IST)
त्योहारी सीजन में कर्ज बांटने में नहीं चलेगी कोताही, बैंकों व एनबीएफसी प्रमुखों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की दो टूक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अर्थव्यवस्था के गहरी मंदी में जाने व बैंकिंग कर्ज की रफ्तार में ऐतिहासिक कमी आने के आंकड़ों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कहा है कि तमाम कठिनाइयों के बावजूद इस साल के त्योहारी सीजन में कर्ज वितरण में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। देश के बैंकों व एनबीएफसी के प्रमुखों के साथ गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक वित्त मंत्री ने सीधे तौर पर निर्देश दिया कि जिस तरह से पिछले वर्ष सितंबर-अक्टूबर में जगह जगह कैंप लगा कर कर्ज बांटने की मुहिम चलाई गई थी, ठीक उसी तरह से इस साल भी होनी चाहिए।

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वित्त मंत्री सीतारमण ने बैंकों को यह भी कहा है कि उन्हें मोरेटोरियम की सुविधा लेने वाले ग्राहकों व कोविड की वजह से कर्ज नहीं चुका पाने वाले ग्राहकों के लिए नई समाधान योजना 15 सितंबर, 2020 तक तैयार कर लेनी चाहिए। ताकि इस बारे में स्थिति स्पष्ट हो सके।

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वित्त मंत्री ने कहा है कि नई समाधान योजना इस तरह की होनी चाहिए कि संभावनाओं वाली कंपनियों को नए सिरे से कर्ज मिलने और उन्हें अपने पैर पर खड़े होने में कोई परेशानी न हो। 15 सितंबर तक सभी कंपनियों को समाधान योजना बना कर इसका मीडिया के जरिए पूरा प्रचार करना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग व उद्यमी इसका फायदा उठा सके।

कुछ बैंकों की तरफ से वित्त मंत्री को यह बताया गया कि उन्होंने आरबीआइ की तरफ से मिले दिशा-निर्देश के आधार पर अपनी समाधान योजना बना ली है और अब ग्राहकों से संपर्क साधने की मुहिम शुरु कर दी गई है। सबसे बड़ी अड़चन ग्राहकों की पहचान की आ रही है कि किस तरह से यह चिन्हित किया जाए कि किस ग्राहक का कारोबार या आय कोविड-19 से प्रभावित हुआ है। लेकिन इसका कुछ रास्ता निकाला गया है। आगे इस बारे में नियम और स्पष्ट होंगे। वित्त मंत्री की तरफ से भी यह आश्वासन मिला कि सरकार आरबीआइ के साथ संपर्क में है कि किस तरह से संबंधित नियमों को और आसान बनाया जा सके।

बैठक में एनबीएफसी की तरफ से बताया कि आरबीआइ के दिशा-निर्देश के मुताबिक जिस कारोबारी के कर्ज को रिस्ट्रक्चर (नए शर्तों के साथ चुकाने का मौका) किया जा रहा है उसे बेहद कड़े नियमों का पालन करना होगा। मसलन, अभी कोई ग्राहक 90 दिनों तक किस्त की अदाएगी नहीं करता है तो उसे 91वें दिन एनपीए (फंसा कर्ज) घोषित किया जा सकता है। जबकि अब नई भुगतान योजना का जो फायदा उठाएगा उसके लिए यह सीमा 30 दिनों की है। यानी 31वें दिन उसके कर्ज को एनपीए घोषित किया जा सकता है। यह नियम सख्त है और इससे एनपीए में भारी वृद्धि हो सकती है।

दूसरी समस्या प्रोविजनिंग के लिए है। आरबीआइ ने कहा है कि कर्ज की जितनी रकम की रिस्ट्रक्चरिंग की जा रही है उसका 10 फीसद हिस्से की प्रोविजनिंग बैंकों को करनी होगी। यह अभी जो प्रोविजनिंग की जा रही है उससे अतिरिक्त होगी। बैंकों का कहना है कि इसकी वजह से उन्हें अपने मुनाफे का एक अहम हिस्सा प्रोविजनिंग के लिए अलग रखना होगा। इससे बैंकों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। 


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