त्योहारी मांग व एमएसपी वृद्धि से कंपनियों का विश्वास बढ़ा
त्योहारी सीजन में बेहतर मांग की संभावना, सातवां वेतन आयोग लागू होने और एमएसपी में वृद्धि होने के कारण भारतीय कंपनियों का कारोबारी विश्वास सुधरा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। त्योहारी सीजन में बेहतर मांग की संभावना, सातवां वेतन आयोग लागू होने और खरीफ सीजन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि होने के कारण भारतीय कंपनियों का अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए कारोबारी विश्वास सुधरा है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही का डून एंड ब्रैडस्ट्रीट कंपोजिट बिजनेस ऑप्जिमिज्म इंडेक्स 79.5 के स्तर पर पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इसमें 3.6 फीसद का सुधार आया है। डून एंड ब्रैडस्ट्रीट के भारत में मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष सिन्हा ने कहा कि आशावादिता में सुधार के पीछे कई कारक रहे हैं। इनमें त्योहारी सीजन की मांग, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होना और खरीफ फसलों के लिए उच्चतर एमएसपी शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार शुद्ध लाभ में वृद्धि के लिए विश्वास नौ फीसद बढ़कर 65 फीसद हो गया। नए कारोबारी ऑर्डर के लिए आशावादिता पांच फीसद बढ़कर 70 फीसद पर पहुंच गयी। इसी तरह बिक्री में वृद्धि के लिए विश्वास चार फीसद बढ़कर 74 फीसद हो गया। इसके विपरीत बैंकों में अत्यधिक फंसे कर्ज यानी एनपीए, नकदी की कमी, रुपये में गिरावट, कच्चे तेल में तेजी, भू-राजनीतिक तनाव और ट्रेड वार जैसे मसले कारोबारी विश्वास को प्रभावित कर रहे हैं।
सिन्हा ने कहा कि एनबीएफसी आइएलएंडएफएस के भुगतान में डिफॉल्ट होने के बाद अन्य एनबीएफसी के नियमन के लिए उठाए गए कदमों का सूचकांक पर असर पड़ेगा। कारोबारी खासकर लघु व मझोले उद्योग इसको लेकर खासे सतर्क हैं। इस क्षेत्र के उद्योगों को कर्ज मुख्य रूप से एनबीएफसी से ही मिलता है। आशावादिता सूचकांक कारोबारियों की व्यापार संबंधी संभावनाओं के सर्वे के आधार पर हर तिमाही में तैयार किया जाता है।