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कोरोना के बाद की निर्यात रणनीति बनाने में जुटा भारत, निर्यातकों को की जाएगी हर संभव मदद

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से कहा है कि वे कोविड-19 के बाद के माहौल के लिए तैयार रहें। उन्होंने निर्यातकों को बड़ा सोचने व तैयार रहने के लिए कहा। (Pic-pixabay.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 07:41 PM (IST)
कोरोना के बाद की निर्यात रणनीति बनाने में जुटा भारत, निर्यातकों को की जाएगी हर संभव मदद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना वायरस ने फिलहाल वैश्विक कारोबार का चक्का जरूर जाम कर दिया है लेकिन इस हालात से उबरने के बाद कुछ बड़ी संभावनाओं के द्वार भी भारत के लिए खुल सकते हैं। इन संभावनाओं को देख भारत सरकार और निर्यातक समुदाय के बीच तालमेल बनना भी शुरू हो गया है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से कहा है कि वे कोविड-19 के बाद के माहौल के लिए तैयार रहें। उन्होंने निर्यातकों को बड़ा सोचने व तैयार रहने के लिए कहा। इसके लिए निर्यातकों को हर तरह की मदद भी दी जाएगी।

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निर्यातकों का कहना है कि महामारी जिस तरह से बढ़ रही है, उसके चलते तमाम देशों में वैश्विक कारोबार को लेकर एक गहन आत्ममंथन भी चल रहा है। कुछ देश मुखर तौर पर तो कुछ अंदर ही अंदर चीन के कारोबार करने के तरीके को लेकर अपनी असहमति जता चुके हैं। दूसरी तरफ भारत की छवि इस संकट की घड़ी में मजबूत हुई है। ऐसे में भारत को चीन के निर्यात बाजार में कुछ हिस्सा मिल सकता है। 

विश्व निर्यात में चीन की हिस्सेदारी अभी लगभग 13 फीसद है। इसके मुकाबले भारत काफी पीछे है। चीन 2.4 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात करता है जबकि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 330 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया था। पिछले पांच साल से भारतीय वस्तुओं का निर्यात 300 से 350 अरब डॉलर के बीच चल रहा है। ऐसे में अगर भारत चीन के निर्यात का दो फीसद भी अपने पक्ष में कर लेता है तो भारत के निर्यात में मजबूत बढ़ोतरी दिखेगी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ कहते हैं, वर्तमान हालात का फायदा भारत को तभी मिलेगा जब सरकार सक्रिय रूप से माइक्रो स्तर पर हमारी सहायता करे। निचले स्तर पर काम करने वालों की हालत काफी खराब है। दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि जो पॉलिसी बनी हुई है, उस पर बिना किसी रुकावट के अमल हो। 

एक निर्यातक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि चीन में एक दिन में उद्यमियों को जमीन मिल जाती है और छह महीने में उनकी यूनिट चालू हो जाती है, जबकि भारत में उन्हें यूनिट लगाने के लिए जमीन लेने में दो साल लग जाते हैं।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के पूर्व चेयरमैन संजय जैन ने बताया कि अभी चीन के खिलाफ दुनियाभर में आक्रोश है, जिसका कारोबारी फायदा भारत को हर हाल में मिल सकता है। हमें इस मामले में तेजी दिखानी होगी, नहीं तो सालभर के बाद लोग सब भूल जाएंगे और फिर से चीन से खरीदारी करने लगेंगे। भारत के सामने एक साल का विंडो खुला है जिसे लेकर हम सबको अति सक्रिय होना पड़ेगा।

साथ ही देश में कोरोना पर जल्द से जल्द काबू पाने का काम भी करना होगा। क्योंकि चीन में मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो चुकी है, जबकि हमारे देश में अभी लॉकडाउन चल रहा है। भारत सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्यात की रणनीति बनाने में जुट गया है। इसका उसे लाभ अवश्य मिलेगा।


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