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रैनबैक्सी पर यूरोप में भी लगा जुर्माना

नई दिल्ली। अमेरिका के बाद अब यूरोप में भी दवा कंपनी रैनबैक्सी पर जुर्माना लगा है। यूरोपीय आयोग ने रैनबैक्सी सहित नौ दवा कंपनियों पर 14.6 करोड़ यूरो [करीब 1,130 करोड़ रुपये] का भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना डेनमार्क की कंपनी लुंडबैक की ब्रांडेड दवा सिटालोप्रैम का जेनेरिक वर्जन उतारने में की गई देरी के मामले में लगाया गया है।

By Edited By: Published: Wed, 19 Jun 2013 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
रैनबैक्सी पर यूरोप में भी लगा जुर्माना

नई दिल्ली। अमेरिका के बाद अब यूरोप में भी दवा कंपनी रैनबैक्सी पर जुर्माना लगा है। यूरोपीय आयोग ने रैनबैक्सी सहित नौ दवा कंपनियों पर 14.6 करोड़ यूरो [करीब 1,130 करोड़ रुपये] का भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना डेनमार्क की कंपनी लुंडबैक की ब्रांडेड दवा सिटालोप्रैम का जेनेरिक वर्जन उतारने में की गई देरी के मामले में लगाया गया है। लुंडबैक ने इन कंपनियों से कार्टेल बनाकर जेनेरिक वर्जन बाजार में उतरवाने में जानबूझ कर देरी करवाई।

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यूरोपीय आयोग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक रैनबैक्सी लैबोरेटरीज पर 1.03 करोड़ यूरो [80 करोड़ रुपये] का जुर्माना लगाया गया है। लुंडबैक पर 9.38 करोड़ यूरो और बाकी सात कंपनियों पर 5.22 करोड़ यूरो का जुर्माना लगा है। वर्ष 2002 में लुंडबैक ने इन सभी कंपनियों के साथ अपनी ब्रांडेड दवा सिटालोप्रैम का जेनेरिक वर्जन उतारने में देरी करने के लिए गुप्त समझौता किया था। डिप्रेशन से बचाने वाली यह दवा बिक्री के मामले में कंपनी के लिए ब्लॉकबस्टर साबित हुई है।

यूरोपीय आयोग ने कहा है कि इस तरह के समझौते यूरोपीय संघ के प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन हैं। साथ ही यूरोपीय संघ कार्यप्रणाली संधि [टीएफईयू] में ऐसे समझौतों को प्रतिबंधित किया गया है। रैनबैक्सी के अलावा जिन अन्य जेनेरिक कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें अल्फार्मा [अब जोटिस का हिस्सा], जेनेरिक्स यूके [अब मिलान का हिस्सा] और एरो [अब एक्टिवास का हिस्सा] शामिल हैं। यूरोपीय आयोग के वाइस प्रेसीडेंट [प्रतिस्पर्धा नीति] जोक्विन एल्मुनिया ने कहा कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है कि कोई कंपनी अपने प्रतिस्पर्धियों को इस बात के लिए भुगतान करे कि वे बाजार में सस्ती दवा उतारने में देरी करें। इस तरह के समझौतों से सीधे तौर पर मरीजों और स्वास्थ्य तंत्र को नुकसान पहुंचता है, जो पहले ही बजटीय बाधाओं से जूझ रहा है। आयोग इस तरह की प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

रैनबैक्सी ने अपनी सफाई में एक बयान जारी कर कहा है कि वह लुंडबैक के साथ पेटेंट विवाद समाधान समझौते को प्रतिस्पर्धा रोधी बताए जाने के फैसले से निराश है। रैनबैक्सी इस मामले में यूरोपीय अदालत में अपील करेगी। लुंडबैक के साथ यह समझौता करीब 10 साल पहले हुआ था। कंपनी का मानना है कि आयोग ने तथ्यों को समझने में गलती की है और गलत कानून लागू किए हैं।

आयोग का कहना है कि सिटालोप्रैम मॉलीक्यूल के बेसिक पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद केवल कुछ प्रोसेस पेटेंट ही लागू थे। ऐसे में सिटालोप्रैम की सस्ती जेनेरिक दवा उतारने की संभावनाएं मौजूद थीं। मगर जेनेरिक कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा में उतरने के बजाय वर्ष 2002 में लुंडबैक से मोटी रकम और करोड़ों यूरो के अन्य लाभ के बदले में जेनेरिक दवा नहीं उतारने का समझौता कर लिया। आयोग ने कहा कि लुंडबैक ने बड़ी मात्रा में रकम का भुगतान किया और जेनेरिक दवा कंपनियों के शेयरों की खरीद की। इसके अलावा एक डिस्ट्रीब्यूशन समझौते के जरिये कंपनियों को गारंटीड मुनाफा उपलब्ध कराया।


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