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EPFO शेयर बाजार में करना चाहता है 20 प्रतिशत तक का निवेश, CBT की बैठक में मिल सकती है मंजूरी

EPFO फिलहाल शेयर बाजार में 15 प्रतिशत तक का निवेश करता है और अब इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना चाहता है। 29 और 30 जुलाई को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टीज की बैठक में इसे मंजूरी भी मिल सकती है।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 19 Jul 2022 08:02 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jul 2022 08:02 AM (IST)
EPFO शेयर बाजार में करना चाहता है 20 प्रतिशत तक का निवेश, CBT की बैठक में मिल सकती है मंजूरी
EPFO wants to invest up to 20 percent in stock market, approval may be given in CBT meeting

नई दिल्ली, एजेंसी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का इरादा शेयर बाजार में लगाए जाने वाले पैसों में बढ़ोतरी करने का है। फिलहाल इक्विटी मार्केट में ईपीएफओ के निवेश की सीमा 15 प्रतिशत है और इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि ईपीएफओ की सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टीज (CBT) की 29 और 30 जुलाई को होने वाली बैठक में इक्विटी में हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है और इसे मंजूरी भी मिल सकती है।

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सोमवार को लोकसभा में श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि CBT की उप समिति फाइनेंस आडिट एंड इनवेस्टमेंट कमेटी (FAIC) ने निवेश श्रेणी चार में इक्विटी इन्वेस्टमेंट को 5-15 प्रतिशत से बढ़ाकर 5-20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है। ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में अगस्त 2021 से निवेश करना शुरू किया था और इसने अपनी कुल निवेश योग्य फंड में से केवल पांच फीसद ही तब ईटीएफ में लगाया था। वहीं ईटीएफ में ईपीएफओ का निवेश वर्तमान वित्त वर्ष में बढ़कर 15 प्रतिशत हो चुका है।

कर्मचारी यूनियन ईपीएफओ द्वारा शेयर बाजार में निवेश का विरोध करती हैं। उनका कहना है कि इस तरह का निवेश चूंकि सरकार द्वारा गारंटी प्राप्त नहीं है, ऐसे में अगर घाटा होता है तो इसकी भरपाई करना मुश्किल होगा। श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने यह भी बताया कि इक्विटी में निवेश से मिलने वाला रिटर्न वर्ष 2020 में 14.67 प्रतिशत था जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 16.27 प्रतिशत हो गया।

24 राज्यों ने श्रम संहिता से जुड़े मसौदे प्रकाशित किए

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि कम से कम 24 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों ने चारों श्रम संहिताओं से जुड़े मसौदे प्रकाशित कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि 31 राज्यों ने वेतन संहिता, 26 राज्यों ने औद्योगिक संबंध, 25 राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा और 24 राज्यों ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति से जुड़ी संहिता प्रकाशित कर दी है।


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