American Chicken leg piece से पोल्ट्री उद्योग में जबर्दस्त घबराहट, प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गिनाई मुश्किलें
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में घरेलू poultry industry की मुश्किलों का जिक्र करते हुए इसके हितों को संरक्षित करने का आग्रह किया है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अमेरिकी ‘चिकेन लेग पीस’ की भारतीय बाजारों में आमद की आशंका से घरेलू पोल्ट्री उद्योग में जबर्दस्त घबराहट है। इसे लेकर पोल्ट्री फार्म मालिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विस्तार से पत्र लिखकर अपनी मुश्किलें गिनाई हैं। उनका कहना है कि अमेरिकी दबाव में अगर घरेलू बाजारों के दरवाजे खुले तो ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ लोगों को रोजगार देने वाला यह उद्योग बड़े संकट में आ जाएगा।
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में घरेलू पोल्ट्री उद्योग की मुश्किलों का जिक्र करते हुए इसके हितों को संरक्षित करने का आग्रह किया है। फेडरेशन के अध्यक्ष रमेश चंदर खत्री और सचिव रनपाल सिंह उर्फ बिट्टू ने कहा कि घरेलू पोल्ट्री उद्योग किसानों की अतिरिक्त आमदनी का एकमात्र बड़ा स्रोत है। उन्हें और मदद की जरूरत है, जिससे वे फलफूल सकें।
अमेरिका के दबाव में किसी तरह भी आयात शुल्क में कमी हुई तो घरेलू पोल्ट्री उद्योग बैठ जाएगा। सरकार सीमांत और लघु किसानों के हित में कदम उठाए। अध्यक्ष रमेश चंदर ने हैरानी जताते हुए कहा कि वैसे भी पोल्ट्री उद्योग को सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है, ऐसे में आयात खोलकर सरकार इनके साथ भला नाइंसाफी कैसे कर सकती है।
फेडरेशन ने अपने पत्र में दावा किया है कि देश में तकरीबन 50 लाख से अधिक पोल्ट्री फार्म खुले हुए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लगभग दो करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। देश में सालाना तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है। उद्योग जगत का कहना है कि पोल्ट्री उद्योग के लिए जरूरी कच्चे माल के मूल्य आसमान छूने से पूरा कारोबार घाटे में चल रहा है। बैंक से लिए गये ऋण चुकाना भी संभव नहीं हो पा रहा है।
पोल्ट्री फीड में उपयोग किए जाने वाले मक्का, सोयाबीन डीओसी, चावल के टुकड़े, बाजरा और कई अन्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के होने के कारण भी छोटे किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं। उन्हें उबारने के लिए तत्काल कुछ कारगर कदम उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में पोल्ट्री फेडरेशन ने लिखा है कि इस उद्योग से जु़ड़े ब्रायलर, लेयर, हैचरी और फीड बनाने तथा प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग को सरकार से वित्तीय मदद के साथ आधुनिक टेक्नोलॉजी की जरूरत है। इनके बिना इस उद्योग को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
रमेश चंदर ने बताया कि अमेरिका में चिकेन लेग पीस का खाने में बहुत कम उपयोग किया जाता है, जिसे वह भारत जैसे देश में डंप करने की सोच रहा है। इससे घरेलू पोल्ट्री उद्योग को बहुत नुकसान हो सकता है।