EPF से बीच में निकालना चाहते हैं पैसा तो जानिए क्या हैं नियम, 2019 में हुए हैं बदलाव
ईपीएफ अकाउंट में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के जरिए सैलरी का 12.5 फीसद योगदान किया जाता है। ईपीएफ अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) एस ऐसा सेविंग इंस्टूमेंट है जो आमतौर पर किसी व्यक्ति के जरिए पहली नौकरी की शुरुआत में शुरू किया जाता है। ईपीएफ अकाउंट में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के जरिए सैलरी का 12.5 फीसद योगदान किया जाता है। ईपीएफ अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है, लेकिन ईपीएफओ कई स्थितियों में आंशिक निकासी का मौका देता है।
इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति ईपीएफओ के अनुसार बीच में भी ईपीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी कर सकता है। ईपीएफओ की तरफ से निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार, मेंबर को बीमारी, शिक्षा, शादी, घर की खरीद सहित कई उद्देश्यों के लिए आंशिक निकासी की अनुमति है। अलग-अलग स्थितियों में निकाले जाने वाला अमाउंट अलग-अलग होता है।
हाल ही में ईपीएफओ ने आंशिक निकासी के मानदंडों में राहत दी है, जिसके अनुसार कोई मेंबर पीएफ अकाउंट से 1 महीने से अधिक बेरोजगार रहने की स्थिति में 75 फीसद तक पैसा निकाल सकता है। इसी के साथ एक मेंबर 54 वर्ष की आयु के बाद या रिटायरमेंट से एक साल पहले पीएफ अकाउंट से 90 फीसद तक पैसा निकाल सकता है।
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आंशिक निकासी के अलावा, ईपीएफओ ईपीएफ डिपॉजिट पर लोन की सुविधा भी देता है। एक व्यक्ति ईपीएफ अकाउंट में जमा डिपॉजिट पर रिफंडेबल लोन या नॉन रिफंडेबल लोन प्राप्त कर सकता है। रिफंडेबल लोन को वापस करना होता है जबकि नॉन रिफंडेबल लोन आंशिक निकासी की तरह की है।
कोई भी व्यक्ति नौकरी में 7 साल पूरे करने के बाद खुद की शादी, बेटी/बेटा/बहन/भाई की शादी, खुद की उच्च शिक्षा, बेटा/बेटी की शिक्षा आदि के लिए 50 फीसद तक पैसा निकाल सकता है।
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बीमारी के स्थिति में मेंबर को अपने डीए या कुल जमा का 6 महीने तक का योगदान निकालने की अनुमति है। ईपीएफओ ने बीमारी के लिए आंशिक निकासी पर कोई लॉक इन पीरियड नहीं तय किया है।
घर खरीदने या बनाने के लिए ईपीएफ मेंबर 5 साल की नौकरी के बाद 36 माह की बेसिक सैलरी और डीए या कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से पूरे योगदान या घर की कुल लागत जितने अमाउंट को निकालने की अनुमति मिलती है।
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