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SBI की इन 4 शाखाओं पर इलेक्टोरल बांड की बिक्री हुई शुरू

साल 2018 की पहली तिमाही के लिए स्कीम की शुरुआत आज से हो गई है।

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 04:20 PM (IST)Updated: Sat, 03 Mar 2018 08:02 AM (IST)
SBI की इन 4 शाखाओं पर इलेक्टोरल बांड की बिक्री हुई शुरू

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चुनावी चंदे की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से शुरू हुई चुनावी बांड स्कीम के बांडों की पहली श्रृंखला की बिक्री पहली मार्च यानि की आज से शुरू हो गई है। ये बांड 10 मार्च तक ही भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदे जा सकेंगे।

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वित्त मंत्रालय ने अपने एक बयान में इस बात का ऐलान किया कि इन बांडों को केवल भारतीय नागरिक अथवा भारत में स्थापित की गई कंपनी द्वारा ही खरीदे जा सकेंगे। सरकार ने इलेक्टोरल बांड स्कीम को इसी साल 2 जनवरी को अधिसूचित किया था। शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक की देश भर में चार शाखाओं को इसकी बिक्री की अनुमति प्रदान की गई है। ये शाखाएं दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में स्थित हैं।

साल 2018 की पहली तिमाही के लिए स्कीम की शुरुआत आज से हो गई है। पहले इसे जनवरी में ही शुरू किया जाना था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के आम बजट में चुनावी बांड की स्कीम लाने की घोषणा की थी। इसके मुताबिक केवल वही पंजीकृत राजनीतिक दल इन बांडों के जरिए चंदा ले पाएंगे जिन्हें पिछले लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव में एक फीसद से अधिक मत प्राप्त होंगे।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक राजनीतिक पार्टियां इन बांडों को केवल अधिकृत बैंक खातों के जरिए ही भुना पाएंगी। लोग राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इन्हें व्यक्तिगत अथवा समूह के तौर पर भी खरीद सकेंगे।

बांड जारी होने से अगले पंद्रह दिनों के लिए वैध होंगे। यानी राजनीतिक दलों के लिए इन्हें इसी अवधि के भीतर भुनाना आवश्यक होगा। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस अवधि के बाद बांड जमा कराने वाले दलों को इसका भुगतान नहीं होगा। राजनीतिक दल जिस दिन बांड अपने बैंक खाते में जमा करेंगे, चंदे की राशि उसी दिन उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

सरकार का मानना है कि चुनावी बांड से राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया काफी हद तक पारदर्शी हो जाएगी। चुनावी बांड के सिक्योरिटी फीचर बिल्कुल करेंसी नोट की तरह होंगे। इसकी छपाई शुरू हो गई है। राजग सरकार ने 2001 में एक अहम सुधार करते हुए चेक से राजनीतिक चंदा देने वालों को टैक्स में छूट देने की पहल की थी। कुछ राजनीतिक दलों को चेक से चंदा मिलना शुरू हुआ लेकिन आज भी अज्ञात स्रोत से चंदा अधिक आ रहा है। इस व्यवस्था को बदलने के लिए ही सरकार ने चुनावी बांड की वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है।


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