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‘राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था को सार्क देशों के प्रमुख एजेंडे में शुमार होना चाहिए'

सीआईआई की प्रेसिडेंट शोबना कमिनेनी ने बताया 25-35 फीसदी जनसंख्या के साथ सार्क क्षेत्रों का विकास 25 अन्य वर्षों तक जारी रहेगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 07:54 AM (IST)
‘राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था को सार्क देशों के प्रमुख एजेंडे में शुमार होना चाहिए'
‘राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था को सार्क देशों के प्रमुख एजेंडे में शुमार होना चाहिए'

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राजनीतिक चुनौतियों और मजबूरी के बावजूद अर्थव्यवस्था को सार्क देशों के लिए सबसे महत्वपूर्ण एजेंडे में शुमार होना चाहिए। यह बात सार्क सीआईआई कॉन्क्लेव में शामिल हुए तमाम बिजनेस लीडर्स ने कही है।

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तीन दिवसीय सार्क बिजनेस लीड्स कॉन्क्लेव के समापन दिवस पर एफ एनसीसीआई (नेपाल) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेखर गोल्चा ने बताया, “इस क्षेत्र में राजनीतिक दलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण एजेंडे में अर्थव्यवस्था को शामिल होना चाहिए। दुर्भाग्य से हमारे क्षेत्र में यह सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है, किसी भी तरह यह हमारी सोच प्रक्रिया के कारण है। संबंधों के लिहाज से आर्थिक एजेंडा पर जोर देना हमारी सबसे महत्वपूर्ण शक्ति होगी। हमारे राजनीतिक एजेंडे कभी समाप्त नहीं होते हैं। हमें इस सोच से बाहर आने की जरूरत है और ये सोचने की कैसे आर्थिक एजेंडा हमारी प्राथमिकता हो सकता है।”

सीआईआई की प्रेसिडेंट शोबना कमिनेनी ने बताया 25-35 फीसद जनसंख्या के साथ सार्क क्षेत्रों का विकास 25 अन्य वर्षों तक जारी रहेगा, क्योंकि भारत की 60 फीसद आबादी युवा है और 35 वर्ष के आस पास है इसलिए यह जरूरी है कि वे स्वस्थ रहें और नौकरियों के लिए पात्र हों।

उन्होंने कहा कि लाखों लोगों को नौकरी देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे उद्योगों और सरकार को समझना चाहिए। कमिनेनी ने कहा, “हमारे पास दुनिया में युवा आबादी है। सार्क क्षेत्र में 20 से 25 वर्षों तक विकास जारी रहेगा ताकि हमें यह सुनिश्चित करना पड़े कि हमारे युवा स्वस्थ्य हैं जो कि न सिर्फ हमारे देशों के लिए बल्कि हमारे क्षेत्र के लिए भी नौकरी पाने योग्य हैं।”


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