आर्थिक पैकेज से नहीं बिगड़ेगा बजट का गणित, कई योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी बैंकिंग सेक्टर पर
Economic Package वित्त मंत्री की ओर से घोषित कम-से-कम 10 योजनाएं ऐसी हैं जिनके बारे में पहले ही बजट में एलान भी किया गया है और उनके मद में प्रावधान भी है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। देश की इकोनॉमी में ऊर्जा का नया संचार करने के लिए सरकार की तरफ से तीन दिनों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का एलान किया जा चुका है। लेकिन इसका आम बजट 2020-21 को लेकर सरकार के गणित पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अभी तक की गणना के मुताबिक कोविड- 19 से देश की इकोनोमी को बचाने के लिए जितनी घोषणाएं की गई हैं, उससे आम बजट पर मुश्किल से 1.6 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। वित्त मंत्री ने कुल 35 घोषणाएं की हैं जिनमें से 11 सिर्फ वित्तीय संसाधन जुटाने से जुड़ी हुई हैं। करीब दर्जनभर योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी बैंकिंग सेक्टर को निभानी होगी।
वित्त मंत्री की ओर से घोषित कम-से-कम 10 योजनाएं ऐसी हैं, जिनके बारे में पहले ही बजट में एलान भी किया गया है और उनके मद में प्रावधान भी है। वित्त मंत्री ने पहले दिन 15 योजनाओं का एलान किया था। इनमें से पांच सुधार संबंधी नीतिगत घोषणाएं थीं, जबकि 10 घोषणाओं के जरिये सीधे या परोक्ष तौर पर वित्तीय राहत देने की बात थी। इन 10 घोषणाओं का कुल वित्तीय आकार 5,94,250 करोड़ रुपये था। इसमें सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा, क्योंकि कर्मचारियों व नियोक्ताओं के ईपीएफ में तीन महीने के योगदान के लिए प्रावधान करने होंगे।
दूसरे दिन यानी गुरुवार को वित्त मंत्री ने कुल नौ घोषणाएं कीं। इनमें से सात घोषणाएं वित्तीय असर को लेकर थीं। वैसे तो इनका कुल आकार 3.16 लाख करोड़ रुपये का था, लेकिन इसका बजट पर 25,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। तीसरे दिन यानी शुक्रवार को वित्त मंत्री ने 11 एलान किए हैं, जिनका वित्तीय आकार 1.65 हजार करोड़ रुपये का है। किसानों के कल्याण व कृषि से जुड़ी इनमें से कई योजनाएं पहले ही बजट में घोषित की जा चुकी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को एलान किया था कि उनकी सरकार कुल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज घोषित करेगी जो देश की इकोनॉमी का तकरीबन 10 फीसद होगा। इसमें से वित्त मंत्री द्वारा 1.70 लाख करोड़ रुपये और आरबीआइ द्वारा 5.57 लाख करोड़ रुपये की पूर्व-घोषित योजनाएं भी शामिल थीं। इस तरह से जब से कोविड-19 का प्रकोप देश पर पड़ा है तब से कुल मिलाकर 18 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया जा चुका है। वैसे, जो घोषणाएं की गई है उनमें से आठ लाख करोड़ रुपये का पैकेज ऐसा है जिसे लागू करने की जिम्मेदारी बैंकों को निभानी होगी। इनमें 2.5 करोड़ किसानों को केसीसी के जरिये दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज बांटने, एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने, कृषि क्षेत्र के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने या बिजली वितरण कंपनियों को राहत पहुंचाने जैसी जिम्मेदारियां शामिल हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इन घोषणाओं से सरकार के राजकोषीय घाटे की स्थिति पर कोई असर नहीं होगा। राजकोषीय घाटे की स्थिति राजस्व संग्रह से प्रभावित होगी। राजस्व संग्रह की स्थिति ऐसी है कि अभी तक अप्रैल का जीएसटी संग्रह का डाटा जारी नहीं किया गया है। आम बजट 2020-21 में राजकोषीय घाटा 3.5 फीसद रहने की उम्मीद लगाई थी, जिसके बारे में जानकार बता रहे हैं कि यह पांच फीसद के करीब जा सकता है। सरकार ने राजस्व की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुए ही इस वर्ष ली जाने वाली उधारी में 4.2 लाख करोड़ रुपये का इजाफा किया है।