ई-कॉमर्स के रास्ते से भी मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ की अनुमति नहीं
मौजूदा नियमों के तहत स्टॉक आधारित कारोबार के लिए ई-कॉमर्स और मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) की अनुमति नहीं है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मौजूदा नियमों के तहत स्टॉक आधारित कारोबार के लिए ई-कॉमर्स और मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) की अनुमति नहीं है। औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने यह स्पष्टीकरण दिया है। स्टॉक आधारित कारोबार से आशय है कि कोई विदेशी ई-कॉमर्स कंपनी न तो खुद का माल बेच सकती है न ही ऐसे रिटेलर का माल अपने प्लेटफार्म पर बेच सकती है जिसकी हिस्सेदारी उसके पास हो।
विभाग ने जोर देकर कहा है कि ई-कॉमर्स के नियम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ नहीं हैं। इनके चलते उचित, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी कारोबारी गतिविधियों से खरीदारों को फायदा होगा। ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआइ के संबंध में पिछले माह डीआइपीपी द्वारा घोषित नए प्रावधानों के बारे में यह स्पष्टीकरण जारी किया गया है। विभाग ने बयान में कहा कि प्रेस नोट 3/2016 के कुछ प्रावधानों के बारे में कहा जा रहा है कि पीछे के दरवाजे से मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ की अनुमति दी गई है,वास्तविकता इस मान्यता के विपरीत है। स्टॉक आधारित ई-कॉमर्स कारोबार में एफडीआइ की अनुमति नहीं है क्योंकि यह मल्टी ब्रांड रिटेल की तरह है।
हाल में सरकार ने जो नियम लागू किए हैं, उनके अनुसार अगर किसी ई-कॉमर्स कंपनी की हिस्सेदारी किसी रिटेल कंपनी में है तो वह अपने प्लेटफार्म पर उस रिटेल कंपनी के उत्पाद नहीं बेच सकती है। वे एक्सक्लूसिव सेल के लिए भी किसी से समझौता नहीं कर सकती हैं।