ऑटोमोबाइल को पान मसाले के साथ न जोड़ें- सियाम
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर काम करती है। इससे रोजगारों का निर्माण होता है। इसके सदस्य राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं
नई दिल्ली: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर काम करती है। इससे रोजगारों का निर्माण होता है। इसके सदस्य राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। लिहाजा किसी ऑटोमोटिव उत्पाद को सिगरेट, पान मसाला, शराब इत्यादि जैसी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों के साथ जोड़ना गलत होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर को बनाते समय इस पहलू पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम ने यह मांग उठाई है।
संगठन का यह भी कहना है कि छोटी कारों, दोपहिया, तिपहिया और वाणियिक वाहनों पर स्टैंडर्ड दरें लागू हों। जबकि बड़ी कारों पर इसे स्टैंडर्ड दर से आठ फीसद ज्यादा रखा जाना चाहिए। उसने ऑटो इंडस्ट्री में अभी मौजूद कई टैक्स स्लैब को खत्म करने की मांग की है। वह चाहता है कि इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और अन्य वैकल्पिक ईंधन वाहनों के लिए दर स्टैंडर्ड रेट से कम से कम आठ फीसद कम हो। उसके मुताबिक, पैसेंजर कारों पर लंबे समय तक उत्पाद शुल्क की दो दरें रहीं। हालांकि, हाल के वर्षों में चार दरें हो गई हैं। इनमें इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन शामिल नहीं हैं, जिन पर कम दरें लागू हैं। मौजूदा परिदृश्य में ऑटोमोबाइल के लिए जीएसटी रेट को संवेदनशीलता से देखने की जरूरत है।