विलय के जरिये महा बैंक बनाने पर विचार
रकारी बैंकों के विलय पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में यह मंशा साफ कर दी थी कि वह महा बैंक बनाने की प्रक्रिया को अब यादा दिनों तक नहीं टालेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दशा व दिशा तय करने के लिए गठित बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) की पहली बैठक काफी उम्मीदों भरी रही। भारतीय रिजर्व बैंक के मुंबई स्थित कार्यालय में हुई बैठक में देश में मौजूदा 22 सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर सिर्फ छह या सात रखने के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा हुई। बीबीबी के अध्यक्ष विनोद राय और वित्त राय मंत्री जयंत सिन्हा की अगुवाई में हुई इस बैठक में यह आम राय थी कि इस बारे में अभी तक जितनी सरकारी समितियों की रिपोर्ट आई हैं, उनका अध्ययन किया जाए और आगे का रोड मैप बनाया जाए।
वित्त राय मंत्री जयंत सिन्हा ने गुरुवार को ही बताया था कि बीबीबी की पहली बैठक में सरकारी बैंकों के विलय को लेकर चर्चा होगी। आज उन्होंने कहा है कि उनकी बेहद लाभप्रद चर्चा हुई है।
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ठक की शुरुआत में आरबीआइ गवर्नर डॉ. रघुराम राजन, आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंद्रा भी शामिल थे। जानकारों के मुताबिक सरकारी बैंकों के विलय पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में यह मंशा साफ कर दी थी कि वह महा बैंक बनाने की प्रक्रिया को अब यादा दिनों तक नहीं टालेंगे।
अभी तक सरकार यह कह रही थी कि इस बारे में पहल बैंकों को ही करनी होगी लेकिन बैंकों की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आने पर अब इस काम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी बीबीबी को सौंप दी गई है। बीबीबी को कहा गया है कि वह न सिर्फ यह रोडमैप दे कि किस आधार पर बैंकों को आपस में मिलाया जाना चाहिए बल्कि इसे किस तरह से एक निश्चित समय सीमा के भीतर लागू किया जाए, इसे भी बीबीबी को ही तय करना है।