Dhanteras 2018: धनतेरस पर फीकी रह सकती है सोने की चमक, समझिए क्यों इस साल खरीदारी से बचेंगे निवेशक
Dhanteras 2018 People can buy less gold on this Day. अगर बीते वर्ष और इस वर्ष धनतेरस की तुलना करेंगे तो आप पाएंगे इस बार महंगाई की मार ने खरीदारों को सोने से दूरी बनाने पर मजबूर किया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। धनतेरस पर अच्छी खरीदारी की उम्मीद लगाए बैठे ज्वैलर्स को इस बार झटका लग सकता है। वहीं शगुन के तौर पर ही सही, लेकिन हर हाल में सोना खरीदने वाले मध्यम वर्गीय एवं उच्च वर्गीय खरीदार इस बार इस कीमती धातु की खरीद से जरूर बचना चाहेंगे। ऐसे में समझना जरूरी है कि आखिर ऐसी क्या वजहें हैं कि साल 2018 में धनतेरस के मौके पर सोने का कारोबार अपनी चमक बिखेरने को तरसता दिखाई देने वाला है। हम अपनी इस खबर में आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। हमने इस संबंध में ब्रोकिंग फर्म कार्वी कमोडिटी के हेड रिसर्च डॉ. रवि सिंह के साथ विस्तार से बात की है।
बढ़ी कीमत ने खरीदारों को किया संकोची: अगर बीते वर्ष और इस वर्ष धनतेरस की तुलना करेंगे तो आप पाएंगे इस बार महंगाई की मार ने खरीदारों को सोने से दूरी बनाने पर मजबूर किया है। वर्ष 2017 में सोने की कीमत 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस पास थीं, जबकि साल 2018 के धनतेरस पर सोना 32,000 प्रति 10 ग्राम के पार है। यही सोने की खरीद से दूरी की बड़ी वजह हो सकती है।
कम रिटर्न ने किया निवेशकों को निराश: आमतौर पर लोग सोना इसलिए भी खरीदते हैं कि वो बुरे वक्त में उनके काम आएगा। लेकिन सोने पर गिरते रिटर्न ने भी निवेशकों की उम्मीदों पर इस वर्ष पानी फेरने का काम किया है। अगर सिर्फ साल 2018 की बात करें तो इस वर्ष अब तक सोने ने सिर्फ 6 से 7 फीसद तक का ही रिटर्न दिया है जो कि अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में नाकाफी है।
वैश्विक संकेतों से भी सोना हुआ कमजोर एसेट्स: अगर वैश्विक स्तर की बात करें तो सोना अपने ऑल टाइम हाई से 20 फीसद तक नीचे टूट चुका है। वहीं भारत में रुपया भी अपने ऑल टाइम लो पर है। इसने सोने की कीमतों में इजाफा किया है जिस वजह से इस धनतेरस निवेशक खरीद से थोड़ा कतरा रहे हैं।
वैश्विक मुश्किलें: सोना और सोने के खरीदारों के लिए वैश्विक मुश्किलें भी कम नहीं हैं। ट्रेड वॉर ने भी सोने के आयात को काफी हद तक प्रभावित किया है। चीन और भारत दुनिया में सोने के दो बड़े आयातक और उपभोक्ता देश हैं। चीन हर साल 1000 टन के आस पास सोने का आयात करता है वहीं भारत ने भी बीते साल 750 टन से ऊपर सोने का आयात किया था। जैसा कि महंगा सोने का आयात चालू खाते के घाटे पर असर डालता है लिहाजा भारत सोने के आयात को कम करना चाहता है। जाहिर सी बात है जब देश में सोने का आयात कम होगा लेकिन मांग का स्तर बढ़ता जाएगा तो कीमतों का बढ़ना लाजिम है और यही खरीदारों को खरीद के लिए संकोची करने के लिए काफी है।
सरकारी विकल्पों ने भी फिजकल गोल्ड से निवेशकों को किया दूर: सरकार अपने चालू खाते घाटे को कम करने के लिए हर हाल में आयात को कम करना चाहती है। भारत में आयातित वस्तुओं में क्रूड के बाद बड़ा एसेट्स गोल्ड ही है। लिहाजा सोने की खरीद के प्रति देशवासियों के रुझान को देखते हुए सरकार ने फिजिकल गोल्ड के कई विकल्प उपलब्ध करवाए हैं जैसे है जैसे कि गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड। इन विकल्पों ने भी निवेशकों को काफी हद तक फिजिकल गोल्ड की खरीद से दूर करने का काम किया है। माना जा रहा है कि इस बार फिजिकल गोल्ड की खरीद से निवेशक जाहिर तौर पर उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाएंगे जितना की बीते वर्षों में देखी गई है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का क्या कहना है?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक वर्ष 2017 के मुकाबले 2018 में सोने की मांग में गिरावट देखने को मिल सकती है। इस कीमती धातु की घरेलू कीमतें अपने पांच वर्षों के उच्चतम स्तर पर हैं जो कि दिसंबर तिमाही में त्योहारों के दौरान खरीद को नुकसान दे सकते हैं।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खरीदारों (आयातकों) में से एक भारत में सोने की मांग कमजोर होने से इसकी वैश्विक कीमतों पर भी असर पड़ सकता है, जो कि इस वर्ष पहले से ही 6.5 फीसद की गिरावट के साथ कारोबार कर रही हैं। हालांकि सोने का कम आयात साउथ एशियन देशों को अपने ट्रेड डेफिसिट को कम करने में मदद करेगा और साथ ही कमजोर रुपये को सहारा भी देगा।