Move to Jagran APP

विकसित भूमि को प्लॉट की तरह बेचने पर लगेगा जीएसटी, AAR के इस फैसले का रियल एस्टेट सेक्टर पर होगा गंभीर असर

अगर कोई डेवलपर किसी भूमि पर बिजली-पानी और ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के बाद उसे प्लॉट के रूप में बेचता है तो उस पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

By Manish MishraEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 08:03 PM (IST)
विकसित भूमि को प्लॉट की तरह बेचने पर लगेगा जीएसटी, AAR के इस फैसले का रियल एस्टेट सेक्टर पर होगा गंभीर असर

नई दिल्ली, पीटीआइ। अगर कोई डेवलपर किसी भूमि पर बिजली-पानी और ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के बाद उसे प्लॉट के रूप में बेचता है, तो उस पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) ने अपने फैसले में कहा है कि विकसित प्लॉट की बिक्री को उसी धारा के अंदर माना जाएगा जिसके तहत किसी खरीदार के हाथों बिक्री के उद्देश्य से किसी कांप्लैक्स के निर्माण को रखा गया है। इस लिहाज से बुनियादी सुविधाएं विकसित कर किसी भूमि को प्लॉट के रूप में बेचने के सौदे पर जीएसटी का भुगतान अनिवार्य होगा।

loksabha election banner

एएआर के इस फैसले का पूरे रियल एस्टेट सेक्टर पर खासा नकारात्मक असर दिखेगा। इसकी वजह यह है कि अब तक डेवलपर विकसित भूमि बेचते आए हैं और उस पर इस तरह का कोई टैक्स नहीं लगता था। एक आवेदक ने एएआर की गुजरात खंडपीठ में याचिका दायर कर जानना चाहा था कि अगर वह किसी भूमि के हिस्से की बिक्री कर रहा हो और स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बाद खरीदार की मांग के मुताबिक बिजली, पानी या ड्रेनेज लाइन की व्यवस्था कर दी गई हो, तो क्या उस पर जीएसटी देना होगा। 

इस पर एएआर का फैसला था कि विकसित प्लॉट की बिक्री को 'खरीदार के लिए किसी कंप्लैक्स के निर्माण' की कैटेगरी में रखा जाएगा। इस लिहाज से उस तरह की गतिविधि को कंस्ट्रक्शन सíवसेज में गिना जाएगा और विकसित भूमि की बिक्री पर जीएसटी का भुगतान करना ही होगा। एएआर की पीठ का कहना था कि आवेदक एक विकसित भूमि को प्लॉट की तरह बेचना चाहता है। उसे जो दाम मिलता है, उसमें जमीन की कीमत और वहां सुविधाएं स्थापित या मुहैया कराने का शुल्क भी शामिल होता है।

इस बारे में एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन का कहना था कि यह फैसला रियल एस्टेट पर त्वरित, सीधा और गंभीर नकारात्मक असर वाला होगा। उनके मुताबिक जीएसटी की अवधारणा ही सिर्फ चल वस्तुओं (जिसका परिवहन हो सकता है) पर टैक्स की है। अचल संपत्ति होने के नाते विकसित भूमि पर जीएसटी का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यह संभव है कि एएआर का यह फैसला ऊपरी अदालतों में शायद नहीं टिक पाए।

कर्मचारियों को लाने-ले जाने वाले वाहनों पर आइटीसी नहीं

इस बीच, एएआर की हिमाचल प्रदेश खंडपीठ ने कहा है कि अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों के आवागमन के लिए व्यावसायिक वाहन किराए पर लेती है तो उसके जीएसटी भुगतान पर कंपनी को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ नहीं मिलेगा। 

प्रसार भारती ब्रॉडकास्टिंग, शिमला द्वारा दाखिल एक याचिका की सुनवाई करते हुए पीठ का कहना था कि इस तरह के मामलों में सिर्फ एक शर्त पर कंपनी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकती है। वह यह कि कर्मचारी को इस तरह की वस्तु या सेवा देना उस संस्थान के लिए किसी भी तत्कालीन कानून के तहत बाध्यकारी हो। लेकिन अगर ऐसा नहीं है, तो कंपनी को इन मामलों में आइटीसी का लाभ नहीं दिया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.