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नोटबंदी से जमा रकम बनी मुसीबत

नोटबंदी ने बैंकों की तिजोरी में ठसाठस नकदी तो भर दी, मगर अब समस्या यह है कि इन्हें ठिकाने कैसे लगाया जाए।

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 12:15 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 12:18 PM (IST)
नोटबंदी से जमा रकम बनी मुसीबत
नोटबंदी से जमा रकम बनी मुसीबत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: नोटबंदी ने बैंकों की तिजोरी में ठसाठस नकदी तो भर दी, मगर अब समस्या यह है कि इन्हें ठिकाने कैसे लगाया जाए। बाजार में कर्जदार गायब हैं, जबकि बैंकों को इन जमाओं पर ग्राहकों को भारी रकम ब्याज के रूप में देनी पड़ रही है। इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार को वित्त मंत्रलय ने रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और बैंक प्रमुखों के साथ एक अहम बैठक की। इसमें बैंकों को अतिरिक्त जमा सुविधा (स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी-एसडीएफ) देने जैसे कई विकल्पों पर चर्चा की गई। कई बैंकों ने इस सुविधा से सहमति भी जताई, लेकिन अधिकांश को इसके कई प्रावधानों पर आपत्ति है।

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मौजूदा नियम के मुताबिक बैंकों को एक सीमा तक ही राशि अपने पास रखने की छूट होती है। शेष राशि उन्हें आरबीआइ में जमा करानी होती है। लेकिन एसडीएफ के तहत बैंक अब इस सीमा से यादा राशि भी अपने पास रख सकेंगे। लेकिन इस राशि पर ब्याज की दर क्या होगी, यह अभी तय करना होगा।

ब्याज घटाने में होगी मुश्किल: आरबीआइ का मानना है कि अगर बैंकों के पास पड़ी अतिरिक्त राशि को खपाने की व्यवस्था नहीं हुई तो आने वाले दिनों में उसके लिए ब्याज दरों को कम करना मुश्किल हो जाएगा। केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को घटाकर उद्योग जगत को मदद देना चाहता है, लेकिन बैंकों का कहना है कि उनके लिए मौजूदा हालात में कर्ज की दरों को घटाना मुश्किल है। वैसे, आरबीआइ ने नोटबंदी के बाद जमा राशि को लेकर कोई आंकड़े तो नहीं दिए हैं, लेकिन माना जाता है कि बैंकों के पास 14 लाख करोड़ रुपये से यादा राशि आ चुकी है। राशि जमा होने का सिलसिला अभी तक जारी है।


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