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नोटबंदी का हुआ असर, नवंबर महीने में सब्जियों के दाम में आई भारी गिरावट

महाराष्ट्र के कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में नवंबर महीने के दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 29 Dec 2016 10:54 AM (IST)Updated: Thu, 29 Dec 2016 10:57 AM (IST)

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में नवंबर महीने के दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई है। ऐसा राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से सामने आया है। इसी समय केंद्र सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी।

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राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की मासिक रिपोर्ट में उन कीमतों को दर्शाया जाता है जिस दर पर कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में पंजीकृत कमीशन एजेंट सब्जियों की खरीद करते हैं। बदले में ये एजेंट सब्जियां खुदरा विक्रेताओं और होटल उद्योग जैसे थोक खरीदारों को दे देते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के एपीएमसी में इस साल अक्टूबर महीने में पत्तागोभी की औसत दर 611 रुपए क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 575 रुपए प्रति क्विंटल रह गई। इसी तरह बैंगन की दर अक्टूंबर महीने में 2,663 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 1,018 रुपए प्रति क्विंटल रह गई। अक्टू बर महीने में फूलगोभी की दर 1,316 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 814 रुपए प्रति क्विंटल रह गई है।
स्वाभीमानी शेतकारी संगठन के नेता और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने नोटबंदी को कीमतों में बड़ी गिरावट का कारण बताया है।

देश में सोयाबीन उत्पादन 1.1 करोड़ टन होने की उम्मीद
देश का सोयाबीन उत्पादन वर्ष 2016 में 1.1 करोड़ टन होने की संभावना है और सोयाबीन उद्योग को उम्मीद है कि भारत में पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले भोजन व सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में इस्तेमाल बढ़ाया जाएं और साथ ही आम खपत को बढ़ाने में वह समर्थन दे।

यूएसएसईसी (अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद) के भारत एवं एएससी सोया खाद्य कार्यक्रम के निदेशक रतन शर्मा का कहना है कि बेहतर मानसून के बाद हमें वर्ष 2016 में सोयाबीन का ज्यादा उत्पादन यानी कि 1.1 करोड़ टन का उत्पादन हासिल होने की पूरी उम्मीद है, जो कि बीते वर्ष 72 लाख टन का हुआ था। भारत में प्रोटीन कैलोरी की कमी को दूर करने का बेहतर उपाय हो सकता है और हमारी सरकार को स्वस्थ पीढ़ी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पोषण पूर्ति कार्यक्रम व कल्याण कार्यक्रमों में इसे मुख्य तत्व के रूप में शामिल करना चाहिए।


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