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पीएनबी ने भ्रष्ट कर्मचारी पर कार्रवाई में की थी कोताही: CVC रिपोर्ट में खुलासा

केंद्रीय सतर्कता आयोग के सुझाव पर भी नहीं उठाए थे कदम। कई मंत्रालय भी कर चुके हैं भ्रष्ट कर्मियों पर कार्रवाई में आनाकानी

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 07:33 AM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 10:23 AM (IST)
पीएनबी ने भ्रष्ट कर्मचारी पर कार्रवाई में की थी कोताही: CVC रिपोर्ट में खुलासा
पीएनबी ने भ्रष्ट कर्मचारी पर कार्रवाई में की थी कोताही: CVC रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की ओर से कोताही बरतने का मामला सामने आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने पीएनबी को एक भ्रष्ट कर्मचारी के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा था। हालांकि सीवीसी के सुझाव को दरकिनार करते हुए बैंक ने उस मामले में मामूली जुर्माना लगाया। सीवीसी की यह रिपोर्ट में हाल ही में संसद में पेश की गई।

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सीवीसी की रिपोर्ट में एक फर्म को देहरादून में इकाई स्थापित करने के लिए दो करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट (सीसी) लिमिट और 1.5 करोड़ रुपये का टर्म लोन देने के मामले का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में बैंक ने गिरवी रखी गई दिल्ली की दो संपत्तियों को लेकर ना कागजों का सत्यापन किया था, ना ही उनकी भौगोलिक स्थिति की पुष्टि की थी। इनमें से एक संपत्ति पर बेचने वाले का अधिकार ही नहीं था, तो दूसरी संपत्ति एक ग्राम सभा की जमीन थी।

इस संदर्भ में बाद में बैंक ने कहा था कि संबंधित अधिकारी ने गिरवी रखी गई संपत्तियों की स्वयं जांच करने के बजाय वकील की रिपोर्ट पर ही पूरा भरोसा कर लिया। इस मामले में सीवीसी ने कड़े जुर्माने और कार्यवाही की सिफारिश की थी। बैंक के इस कदम को अपने सुझाव की अनदेखी मानते हुए सीवीसी ने इसे अपनी रिपोर्ट में जगह दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्रलय, दूरसंचार विभाग, नागरिक उड्डयन मंत्रलय, सड़क एवं परिवहन मंत्रलय, एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया, वित्त मंत्रलय, इस्पात मंत्रलय, कोयला मंत्रलय, रक्षा मंत्रलय और दिल्ली जल बोर्ड ने भी भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई के मामले में सीवीसी के सुझावों की अनदेखी की थी।

फिच ने घटाई पीएनबी की रेटिंग

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने पीएनबी की वायबिलिटी रेटिंग को ‘बीबी’ से घटाकर ‘बीबी-’ कर दिया है। बैंक में 13,000 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद रेटिंग एजेंसी ने यह कदम उठाया है। फिच के बयान के मुताबिक, इस कदम से बैंक की अन्य रेटिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि एजेंसी ने इस बात पर संदेह जताया है कि बैंक प्रबंधन इस घोटाले के मामले में जल्दी कुछ कर पाएगा।


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