चालू खाता घाटा बढ़कर 13 अरब डॉलर के हुआ पार
चालू खाते का आशय देश में विदेशी मुद्रा की कुल आय और व्यय से है। आय से ज्यादा व्यय होने पर चालू खाता घाटा हो जाता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आर्थिक मोर्चे पर सरकार के समक्ष एक नई चुनौती उभर रही है। व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा बढ़कर 13.5 अरब डॉलर (87,000 करोड़ रुपए) हो गया है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद है। चालू खाता घाटा पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आठ अरब डालर (जीडीपी का 1.4 फीसद) था। चिंताजनक तथ्य यह है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) में भी गिरावट आई है।
चालू खाते का आशय देश में विदेशी मुद्रा की कुल आय और व्यय से है। आय से ज्यादा व्यय होने पर चालू खाता घाटा हो जाता है। रिजर्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाता घाटा मात्र 7.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 फीसद था। आरबीआई के अनुसार तीसरी तिमाही में निर्यात के मुकाबले आयात अधिक रहने की वजह से व्यापार घाटा बढ़कर 44.1 अरब डॉलर हो गया है, इसी के चलते चालू खाता घाटा बढ़ा है।
वैसे चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर तक चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.9 फीसद हो गया है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह मात्र 0.7 फीसद था। सॉफ्टवेयर सेवाओं से शुद्ध आय बढ़ने से सेवाओं से अर्जित विदेशी मुद्रा में 17.8 फीसद वृद्धि हुई है। हालांकि शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तीसरी तिमाही में मात्र 4.3 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल समान तिमाही के 9.7 अरब डॉलर की तुलना में 55 फीसद कम है। सूत्रों का कहना है कि चालू खाता घाटा बढ़ने से सरकार के समक्ष नई चुनौती पेश होगी।