Move to Jagran APP

चीनी उद्योग पर गहरा सकता है संकट, FRP का बढ़ना तय, MSP पर असमंजस

sugar industry news गन्ने का लगभग 19000 करोड़ का एरियर चीनी मिलों पर बकाया है जिसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया लगभग 40 फीसद है। चुनाव से ठीक पहले सरकार पर इसकी भरपाई का दबाव बढ़ सकता है।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 07:48 AM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 07:48 AM (IST)
चीनी उद्योग पर गहरा सकता है संकट, FRP का बढ़ना तय, MSP पर असमंजस
आगामी पहली अक्टूबर से नया चीनी वर्ष चालू हो जाएगा।

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश के अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव को देखते हुए गन्ना के उचित व लाभकारी मूल्य में वृद्धि होनी तय मानी जा रही है। चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में भी पिछले ढाई वर्षो से कोई वृद्धि नहीं की गई है। दूसरी ओर घरेलू बाजार में चीनी का स्टाक पहले से ही बढ़ा हुआ है, जिससे ¨जस बाजार में इसके मूल्य में सुधार की संभावना कम ही है। चुनावी वर्ष में गन्ना किसानों के भुगतान का संकट भी इससे गहरा सकता है।

loksabha election banner

गन्ने का लगभग 19,000 करोड़ का एरियर चीनी मिलों पर बकाया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया लगभग 40 फीसद है। चुनाव से ठीक पहले सरकार पर इसकी भरपाई का दबाव बढ़ सकता है। गन्ना वर्ष, 2020 में गन्ने के उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 10 रुपये प्रति ¨क्वटल की वृद्धि की गई थी, जिससे चीनी की लागत 1.50 रुपये प्रति किलो बढ़ गई। इसके अलावा स्टील के मूल्य में आई भारी तेजी, मिलों के रखरखाव और अन्य खर्च बढ़ने का सीधा असर चीनी की उत्पादन लागत पर पड़ा है। इसके बावजूद फरवरी, 2019 के बाद चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में कोई वृद्धि नहीं की गई है। आगामी पहली अक्टूबर से नया चीनी वर्ष चालू हो जाएगा।

चीनी उद्योग को लगता है कि गन्ना एफआरपी में पांच रुपये प्रति ¨क्वटल की वृद्धि हो जाएगी। इसके विपरीत चीनी की एमएसपी में वृद्धि का प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन है।देश में इस वर्ष पहली अक्टूबर को चीनी का कैरीओवर स्टाक 87 लाख टन रहेगा जो सामान्य से लगभग 30 लाख टन ज्यादा है। वहीं, आगामी गन्ना वर्ष में 3.10 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। चीनी की घरेलू खपत 2.65 करोड़ टन रहने वाली है। इस हिसाब अगले वर्ष लगभग 80 लाख अतिरिक्त चीनी का स्टॉक होगा, जो चीनी मिलों की माली हालत और बिगाड़ सकता है।

निर्यात नीति की प्रतीक्षा

चीनी बाजार के जानकारों के मुताबिक सरकार को हर हाल में जल्द से जल्द चीनी निर्यात को लेकर अपनी नीतियों का एलान कर देना चाहिए। एशियाई देशों में चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक थाइलैंड है। वैश्विक बाजार में यहां की चीनी जनवरी में पहुंचती है। इसलिए भारतीय मिलों की चीनी के लिए अक्टूबर से जनवरी तक का समय निर्यात के लिए बेहद मुफीद साबित हो सकता है। वैश्विक बाजार में चीनी का भाव बढ़ा हुआ है, जिसका फायदा निर्यात बढ़ाकर लिया जा सकता है। भारतीय मिलों के पास पहले ही चीनी का बड़ा स्टाक है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्राजील की चीनी अप्रैल में पहुंचेगी, यह समय भी भारतीय चीनी निर्यातकों के लिए बेहतर होगा। वैश्विक बाजार में कीमतों के बढ़ने के चलते लाइसेंस मुक्त चीनी का निर्यात (ओजीएल) हो रहा है। लेकिन स्पष्ट नीतिगत फैसला न होने और निर्यात सब्सिडी की अटकलों के चलते असमंजस की हालत में निर्यात थम गया है। सूत्रों के मुताबिक किसी तरह का फैसला होने के बजाय फिलहाल कैबिनेट नोट की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो सकी है। निर्यात सब्सिडी अथवा अन्य किसी तरह की वित्तीय मदद के फैसले के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (ईएफसी) की अभी तक बैठक भी नहीं हुई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.