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एस्सार स्टील के छोटे कर्जदाताओं ने आर्सेलर मित्तल से की भुगतान की अपील

कंपनी पर दो दर्जन से अधिक बैंकों का करीब 49000 करोड़ रुपये का बकाया है। जून 2017 के बाद यह कंपनी दीवालिया प्रक्रिया में चली गई थी।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 06:43 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 08:29 AM (IST)
एस्सार स्टील के छोटे कर्जदाताओं ने आर्सेलर मित्तल से की भुगतान की अपील
एस्सार स्टील के छोटे कर्जदाताओं ने आर्सेलर मित्तल से की भुगतान की अपील

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क/एजेंसी)। एस्सार स्टील को एक करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज देने वाले कर्जदाताओं के समूह ने आर्सेलर मित्तल से भुगतान की अपील की है। आर्सेलर मित्तल कर्ज के बोझ से दबी कंपनी एस्सार स्टील के अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरी कर रही है।

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पिछले साल अक्टूबर महीने में एस्सार स्टील को कर्ज देने वाली कर्जदाताओं के समूह ने आर्सेलर मित्तल की बोली को मंजूरी दी थी। मित्तल ने इस कंपनी को खरीदने के लिए 42,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। हालांकि कंपनी के प्रोमोटर्स रुइया बंधुओं ने इस बोली के जवाब में 54,384 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जिसे कर्जदाताओं और नीलामी प्रक्रिया को पूरा कराने वाले पेशेवरों के समूह ने खारिज कर दिया था।

नैशनल कंपनी अपीलेट लॉ ट्रिब्यूनल ने एनसीएलटी अहमदाबाद को नीलामी की प्रक्रिया को 8 मार्च तक पूरा करने के लिए कहा था।

आर्सेलर मित्तल ने जो बोली लगाई थी, उसमें एस्सार स्टील में 8,000 करोड़ रुपये की पूंजी को अलग से जाले जाने का प्रावधान था।

कंपनी को एक करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज देने वाले समूह ने अपनी अपील में कहा है कि आर्सेलर मित्तल उन्हें किसी भी रकम का भुगतान नहीं कर रही है, जो अनुचित है। एस्सार स्टील पर कई कर्जदाताओं का बकाया है, जिसमें इंडियन ऑयल का 3,500 करोड़ रुपये का बकाया भी शामिल है।

फोरम ने कहा है, 'हम आर्सेलर मित्तल से अपील करते हैं कि वह उदारतापूर्वक अपनी बोली में थोड़ा इजाफा करे ताकि हमें भी एकमुश्त न सही अगले 12 महीनों में किस्तों में ही भुगतान मिल सके।'

पिछले महीने नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने एनसीएलटी अहमदाबाद को 8 मार्च तक तक आर्सेलर मित्तल की बोली प्रक्रिया को पूरी करने के लिए कहा था। बोली प्रक्रिया को 270 दिनों में पूरा करना होता है, जो अब करीब 600 दिनों का होने जा रहा है।

एस्सार स्टील गुजरात के हजीरा में एक करोड़ टन की क्षमता वाले स्टील संयंत्र को ऑपरेट करती है। कंपनी पर दो दर्जन से अधिक बैंकों का करीब 49,000 करोड़ रुपये का बकाया है। जून 2017 के बाद यह कंपनी दीवालिया प्रक्रिया में चली गई थी।

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