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बेमियादी ट्रक हड़ताल के कारण पहले दिन दिखा मिलाजुला असर

ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा कि कुल 93 लाख ट्रकों में से संगठन से जुड़े 50-60 फीसद ट्रक शुक्रवार को सड़कों पर नहीं चले

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 02:41 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 05:00 PM (IST)
बेमियादी ट्रक हड़ताल के कारण पहले दिन दिखा मिलाजुला असर
बेमियादी ट्रक हड़ताल के कारण पहले दिन दिखा मिलाजुला असर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ट्रक ट्रांसपोर्टरों की देशव्यापी बेमियादी हड़ताल शुक्रवार से शुरू हो गई। हड़ताल के पहले दिन मिलाजुला असर दिखाई दिया। हालांकि ट्रक ट्रांसपोर्टरों के संगठन ने कहा है कि उन्हें अपनी मांगों पर सरकार का ठोस आश्वासन जब तक नहीं मिल जाता है, उनकी हड़ताल जारी रहेगी।

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ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा कि कुल 93 लाख ट्रकों में से संगठन से जुड़े 50-60 फीसद ट्रक शुक्रवार को सड़कों पर नहीं चले। उन्होंने किसी भी माल की ढुलाई नहीं की। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में और ज्यादा ट्रक ट्रांसपोर्टर हड़ताल में शामिल हो जाएंगे।

हड़ताल का ज्यादा असर मुंबई और महाराष्ट्र में दिखाई दिया। जहां सुबह छह बजे हड़ताल शुरू होने के बाद से ट्रक सड़कों पर नहीं चले। मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में हड़ताल का असर दिखाई दिया। तमिलनाडु में 4.5 लाख ट्रकों के हड़ताल पर जाने की खबर है। सिंह ने कहा कि जो ट्रक रास्ते में हैं, वे नजदीकी ढाबा, पेट्रोल पंप या यार्ड में चले गए और हड़ताल शुरू कर दी गई।

उन्होंने कहा कि कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल और वरिष्ठ अधिकारियों से हड़ताल टालने पर अंतिम दौर तक वाताएं हुईं। लेकिन सरकार से मांगों पर ठोस आश्वासन न मिलने के कारण हड़ताल पर जाने का फैसला किया गया। गोयल ने मांगों पर विचार करने के लिए कमेटी बनाने का सुझाव दिया। लेकिन उन्होंने किसी भी मांग पर सहमति नहीं जतायी। हड़ताल शुरू होने के बाद सरकार से कोई बातचीत नहीं हुई।

ट्रक संचालकों और ट्रांसपोर्टरों की मुख्य मांगों में केंद्रीय व राज्यों के टैक्स घटाकर डीजल की कीमत घटाने की मांग शामिल है। ट्रांसपोर्टर टोल चार्ज का भी विरोध कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि इसमें पारदर्शिता नहीं है और नियम टोल लेने वाली कंपनियों के पक्ष में है। ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि टोल प्लाजा पर वाहनों के रुकने से हर साल करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है। उन्हें बीमा के अत्यधिक प्रीमियम पर भी शिकायत है। उनकी मांग है कि थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम घटाया जाए और इस पर जीएसटी खत्म किया जाए। ट्रक संचालकों ने सभी बसों व ट्रकों पर डायरेक्टर टैक्स नेशनल परमिट और डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी टेंडरिंग सिस्टम को भी खत्म करने की मांग की है।


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