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अब चीन को झटका देने की तैयारी में कास्मेटिक इंडस्ट्री, हर्बल प्रोडक्ट्स के बढ़ते चलन से इस तरह बदल सकती है तस्वीर

पतंजलि और हिमालया जैसी कंपनियां कास्मेटिक उत्पादों के कच्चे माल को लेकर चीन पर निर्भरता नहीं है। दोनों ही कंपनियों के उत्पाद पूरी तरह स्वदेशी हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 06:54 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 05:07 PM (IST)
अब चीन को झटका देने की तैयारी में कास्मेटिक इंडस्ट्री, हर्बल प्रोडक्ट्स के बढ़ते चलन से इस तरह बदल सकती है तस्वीर
अब चीन को झटका देने की तैयारी में कास्मेटिक इंडस्ट्री, हर्बल प्रोडक्ट्स के बढ़ते चलन से इस तरह बदल सकती है तस्वीर

देहरादून, अशोक केडियाल। कास्मेटिक इंडस्ट्री ने चीन से आयात होने वाले कच्चे माल को लेकर भले ही अभी तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया है, लेकिन कोरोनाकाल में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के भीतर चीन का बाजार सिमटा है। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का केमिकल ही नहीं, बल्कि रेडी टू यूज कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का भी करोड़ों रुपये का आयात प्रति वर्ष किया जाता है। ऐसे में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से कई उद्योगों ने अब अपने उत्पादों को कम कीमत पर बाजारों में उपलब्ध करवाने की मुहिम शुरू कर दी है। उत्तराखंड और हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र में कई हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाले उद्योग स्थापित हैं, जो अब बड़े स्तर पर ऐसे प्रोडक्ट का उत्पादन शुरू कर चुके हैं। इन हर्बल कॉस्मेटिक्स उत्पादों के सहारे विदेशी सामान को चुनौती देने का प्रयास किया जा रहा है।

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उत्तराखंड में तकरीबन 40 फीसद तक की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य की 327 कास्मेटिक इकाइयों में चीन का कारोबार सालाना करीब 1200 करोड़ रुपये था। हर्बल कास्मेटिक के बढ़ते चलन को देखकर चीन को और झटका लग सकता है। प्रदेश की इकाइयों में प्रतिवर्ष करीब 2,400 सौ क्विंटल कच्चे माल की खपत है।

पतंजलि और हिमालयन ड्रग्स की चीन पर निर्भरता नहीं 

पतंजलि और हिमालया जैसी कंपनियां कास्मेटिक उत्पादों के कच्चे माल को लेकर चीन पर निर्भरता नहीं है। दोनों ही कंपनियों के उत्पाद पूरी तरह स्वदेशी हैं। देश के विभिन्न राज्यों से वे कच्चे माल की आपूíत करती हैं, इसके लिए उन्होंने बाकायदा जड़ी-बूटी कलस्टर विकसित किए हुए हैं। दोनों ही कंपनियां अपने उत्पादों में जड़ी-बूटी, फल-फूल, बीज, पत्तियां, मुल्तानी मिट्टी, बादाम, किसमिस, हल्दी, चंदन, लौंग, रीठा, तुलसी, सेंधा नमक, नीम आदि को कच्चे माल के रूप में उपयोग में लाते हैं।

रसायनों के विकल्प के तौर पर ये 50 से अधिक फूलों के एसेंस को उपयोग में लाते हैं। इनमें गुलाब, गेंदा, चंपा, चमेली, लिल्ली, गुड़हल, कनेर, मोगरा, ऑर्किड, जरबरा, नाइटक्वीन, गुलमोहर प्रमुख हैं। इन दोनों की कंपनियों की शैंपू से लेकर हेयर ऑयल और फेस क्रीम की बड़ी रेंज है, इन सभी में स्वदेशी कच्चा माल इस्तेमाल किया जाता है। पतंजलि ज्यादातर कच्चा माल पर्वतीय राज्यों से खरीदती है। कुछ हर्बल उत्पाद दक्षिण भारतीय राज्यों से आयात किया करती है।

केटीसी कॉस्मेटिक उद्योग के प्रबंधक राजीव कंसल बताते हैं कि उनके उद्योग में नैचुरल हेयर डाई, मेहंदी, शैंपू, फेसवॉश सहित फेस पैक आदि कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। कंपनी नई तकनीक से अब अपना कारोबार और बढ़ाने जा रही है। प्रदेश में मौजूद औषधीय पौधों से हर्बल प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। मांग को देखते हुए कीमतों में काफी कमी कर दी गई है।

भारत में उपलब्ध है कच्चा माल

गोदरेज इंडिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर, वीवीएफ इंडिया व कुछ अन्य मल्टीनेशनल कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि उनके यहां साबुन, हैंड वॉश जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। इनके लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा मैटीरियल गुजरात व मुंबई से उपलब्ध हो जाता है। कुछ अन्य मशीनरी व उपकरणों की आवश्यकता को दूसरे देशों से पूरा कर लेते हैं। भारत में गोदरेज कंपनी भी कच्चे माल का कारोबार कर रही है।


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