Move to Jagran APP

कोरोना वायरस के कारण कामकाज हुआ प्रभावित, बैंकों को बासेल नियमों के पालन में मिली छूट

Coronavirus के कारण बैंकिंग व्यवस्था के लिए उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बासेल-तीन नियमों के पालन को लेकर बैंकों को कई तरह की राहत दी है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 07:43 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 06:57 PM (IST)
कोरोना वायरस के कारण कामकाज हुआ प्रभावित, बैंकों को बासेल नियमों के पालन में मिली छूट
कोरोना वायरस के कारण कामकाज हुआ प्रभावित, बैंकों को बासेल नियमों के पालन में मिली छूट

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। COVID-19 वायरस की वजह से देश की अर्थव्यवस्था जिस तरह से ठप हुई है, उससे बैंकों का कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है। आने वाले दिनों में बैंकिंग व्यवस्था के लिए उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बासेल-तीन नियमों के पालन को लेकर बैंकों को कई तरह की राहत दी है। 

loksabha election banner

बैंकों को किसी भी तरह की अस्थिरता की स्थिति में इस्तेमाल होने वाले विशेष फंड (नेट स्टेबल फंडिंग रेश्यो-एनएसएफआर) संबंधी मानकों को इस वर्ष पहली अक्टूबर से लागू करने की छूट दे दी है। अभी तक यह मानक इस वर्ष पहली अप्रैल से लागू होना था। इसी तरह से बैंकों के लिए अलग से कैपिटल कंजर्वेशन बफर (सीसीबी) संबंधी टाइमलाइन को भी इस वर्ष 31 मार्च से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया है। इस छूट का मतलब यह हुआ कि बैंकों को अपने मौजूदा कारोबार से अतिरिक्त धन अलग कर एक विशेष कोष में फिलहाल नहीं रखना होगा।

सीसीबी संबंधी नियम कहता है कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) के अलावा बैंकों के पास 2.5 फीसद राशि अलग से संरक्षित होनी चाहिए। बैंक अपनी कुल जमा राशि का 4 फीसद अभी सीआरआर के तौर पर रखते हैं। अगर सीसीबी नियम लागू हो जाता तो उन्हें 2.5 फीसद और राशि अलग रखनी पड़ती। इसी तरह से एनएसएफआर एक ऐसा अनुपात है जिसे बैंकों को अपनी जमा-पूंजी से अलग रखनी है ताकि अगर कोई बड़ा वित्तीय संकट आए तो इसका इस्तेमाल हो सके। 

जाहिर है कि उक्त दोनो मानकों के पालन संबंधी समय के आगे बढ़ जाने से बैंकों पर दबाव कम होगा।गौरतलब है कि अंतराष्ट्रीय बासेल-3 मानक को शनिवार को ही एक और वर्ष के लिए टाल दिया गया है। अब यह जनवरी, 2023 से लागू होगा। बासेल समिति की निगरानी संस्था सेंट्रल बैंक गवर्नर्स एंड हेड्स ऑफ सुपरविजन (जीएचओएस) ने कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए यह फैसला किया है। पहले ये नियम जनवरी, 2022 से लागू होने थे।

दुनियाभर के बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनाने और उन्हें तात्कालिक जोखिमों से बचाने के लिए बासेल मानकों की शुरुआत हुई थी। वर्ष 2007-08 की वैश्विक आर्थिक मंदी और बैंकों की बुरी हालत के दौरान बासेल-2 मानकों की खामियां खुलकर सामने आईं। इसे देखते हुए बासेल-3 मानक तैयार किए गए, जिसे पिछले वर्ष ही लागू हो जाना था। लेकिन इसे जनवरी, 2022 के लिए टाल दिया गया था। बासेल मानक भारत में भी वर्ष 2013 से धीरे-धीरे लागू किए जा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.