Move to Jagran APP

कोरोना: अगले वित्त वर्ष भी टैक्स कलेक्शन में कमी के आसार, 21 दिन के लॉकडाउन से जीडीपी पर 1.7 फीसद का असर

चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी कलेक्शन में संशोधित लक्ष्य के मुकाबले 5 फीसद तक की गिरावट रह सकती है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 07:35 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 05:53 PM (IST)
कोरोना: अगले वित्त वर्ष भी टैक्स कलेक्शन में कमी के आसार, 21 दिन के लॉकडाउन से जीडीपी पर 1.7 फीसद का असर
कोरोना: अगले वित्त वर्ष भी टैक्स कलेक्शन में कमी के आसार, 21 दिन के लॉकडाउन से जीडीपी पर 1.7 फीसद का असर

राजीव कुमार, नई दिल्ली। कोरोना के प्रभाव से जनता को बचाने के लिए सरकार ने एक तरफ जहां खजाना खोल लिया है, वहीं खजाने में आने वाली राशि पर बुरी नजर लग गई है। डायरेक्ट टैक्स और जीएसटी दोनों ही टैक्स कलेक्शन में सिर्फ चालू वित्त वर्ष ही नहीं, अगले वित्त वर्ष में भी गिरावट की आशंका है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी कलेक्शन में संशोधित लक्ष्य के मुकाबले 5 फीसद तक की गिरावट रह सकती है। 

loksabha election banner

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 29 फरवरी तक जीएसटी कर का वास्तविक संग्रह 8.75 लाख करोड़ था जो कि संशोधित अनुमानित लक्ष्य से 1.11 लाख करोड़ कम है। अप्रत्यक्ष कर संग्रह का संशोधित अनुमानित लक्ष्य 9.86 लाख करोड़ है। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक टैक्स कलेक्शन के रुख को देखते हुए अगर सरकार मार्च महीने में कुल लक्ष्य का 12 फीसद वसूलने में कामयाब हो जाती है तो भी लक्ष्य के मुकाबले 6000 करोड़ की गिरावट रह सकती है। 

वित्त मंत्री की तरफ से राज्य सभा को दी गई जानकारी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 के 10 मार्च तक डायरेक्ट टैक्स का कुल कलेक्शन 8.63 लाख करोड़ रुपए था जो कि चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानित लक्ष्य 11.70 लाख करोड़ से 3.06 करोड़ कम था। पहले यह लक्ष्य 13.35 लाख करोड़ रुपए का था जिसे एक फरवरी को पेश बजट में संशोधित किया गया। हालांकि टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम 15-20 दिनों में टैक्स कलेक्शन में तेजी आती है फिर भी संशोधित लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन नहीं दिख रहा है। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. एस.के. घोष के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 1.2 लाख करोड़ (लगभग 10 फीसद) की कमी रह सकती है। 

टैक्स एक्सपर्ट एवं डेलॉयट के पार्टनर एम.एस. मनी के मुताबिक कोरोना की वजह से सेवा क्षेत्र से लेकर आयात तक सब में गिरावट आई है। आयात कम होने से आईजीएसटी का कलेक्शन कम होगा। वस्तुओं की बिक्त्री होने पर ही जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भी डाइरेक्ट और इनडाइरेक्ट दोनों प्रकार के टैक्स कलेक्शन में कमी आएगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए दोनों टैक्स के कुल कलेक्शन में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 12 फीसद की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है जो कि 24.23 लाख करोड़ रुपए है। लेकिन इस दौरान कोरोना के असर को देखते हुए विशेषज्ञ इसे हासिल करना अति कठिन बता रहे हैं। 

एसबीआई इकोरैप के अनुमान के मुताबिक इस 21 दिन के लॉकडाउन से आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीप पर 1.7 फीसद का असर दिखेगा क्योंकि इस दौरान देश की 70 फीसद आर्थिक गतिविधियां ठप है। इस लॉकडाउन से 8.03 लाख करोड़ के उत्पादन का नुकसान होगा। वहीं श्रमिकों की आय में 1.77 लाख करोड़ रुपए कमी की आशंका है। वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी दर मात्र 2.6 फीसद रह सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक आय में कमी से डायरेक्ट टैक्स में कमी आएगी। आय कम होने से वस्तुओं की बिक्त्री प्रभावित होगी और वस्तुओं व सेवा की खपत में कमी आएगी तो जीएसटी कलेक्शन कम होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.