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छह साल के न्यूनतम स्तर पर आया कंज्यूमर कांफिडेंस, आरबीआई ने जारी किया आंकड़ा

RBI Survey केंद्रीय बैंक के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि देश में कंज्यूमर कांफिडेंस में काफी कमी आई है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 03:39 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 08:21 AM (IST)
छह साल के न्यूनतम स्तर पर आया कंज्यूमर कांफिडेंस, आरबीआई ने जारी किया आंकड़ा
छह साल के न्यूनतम स्तर पर आया कंज्यूमर कांफिडेंस, आरबीआई ने जारी किया आंकड़ा

नई दिल्ली, एजेंसी। रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में कंज्यूमर कांफिडेंस छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक की ओर से जारी हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि लोगों की धारणा, रोजगार के अवसर, आय और खर्च में कमी आई है। सर्वे के मुताबिक सितंबर में कंज्यूमर कांफिडेंस कमजोर हुआ क्योंकि वर्तमान स्थिति सूचकांक (सीसीआई) एवं भविष्य की उम्मीदों से जुड़े सूचकांक (एफईआई) दोनों में गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक देश का सीसीआई सितंबर में घटकर 89.4 पर रह गया। इससे पहले जुलाई में यह आंकड़ा 95.7 पर था। पिछली बार सितंबर 2018 में सीसीआई घटकर 88 रह गया था।

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आरबीआई के सर्वेक्षण में यह खुलासा भी किया गया है कि इकोनॉमी और रोजगार को लेकर ओवरऑल सेंटिमेंट में कमी दर्ज की गई है और लोग आने वाले साल में अपनी आय को लेकर बहुत अधिक आशावादी नजर नहीं आ रहे। 

इस सर्वे के मुताबिक नौकरियों को लेकर नजरिए एवं उम्मीद में लगातार कमी दर्ज की जा रही है जो सितंबर में घटकर -24.5 रह गया। इससे पहले जुलाई में यह आंकड़ा -13.1 पर था। हालांकि, आय को लेकर मार्च, 2018 के बाद पहली बार सेंटिमेंट निगेटिव हुआ है।

केंद्रीय बैंक के मुताबिक जरूरी चीजों की खरीद को लेकर धारणा मजबूत बनी हुई है। हालांकि, ऐच्छिक व्यय में जरूर कमी दर्ज की गई है। 

आरबीआई ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, दिल्ली, मुंबई सहित 13 बड़े शहरों के 5,192 परिवारों पर यह सर्वेक्षण किया है। इन परिवारों के सदस्यों से आम परिदृश्य, उम्मीद, आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार के अवसर, निजी आय और खर्च को लेकर सवाल पूछा गया था। 

उल्लेखनीय है कि खपत एवं डिमांड में कमी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार घटकर पिछले साल के न्यूनतम स्तर पांच फीसद पर आ गई है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को पांचवीं बार नीतिगत दरों में बदलाव करते हुए रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती कर दी। 


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