एयर इंडिया की विनिवेश पर योजनाओं पर असमंजस बरकरार
एयर इंडिया की विनिवेश योजनाओं के संबंध में संसद की स्थायी समिति ने विमानन मंत्रालय से विनिवेश प्रस्ताव का ब्यौरा मांगा है
नई दिल्ली (जेएनएन)। एयर इंडिया की विनिवेश योजना पर ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद संसदीय समिति के तेवरों ने सरकार पर इस योजना पर सोच-समझकर आगे बढ़ने का दबाव बढ़ा दिया है। मुकुल राय की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने विमानन मंत्रालय से विनिवेश प्रस्ताव का पूरा ब्यौरा मांगा है। ऐसे समय जबकि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए सरकार ने वित्त मंत्री की अध्यक्षता में पांच मंत्रियों की समिति का गठन कर दिया है, संसदीय समिति के दबाव ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
मुकुल राय का संबंध तृणमूल कांग्रेस से है और सरकार को लगता है कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी इस मुद्दे को हवा देकर इसका राजनीतिक लाभ ले सकती हैं। सरकार की चिंता इसलिए भी है क्योंकि स्वयं आरएसएस से जुड़ी यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी विनिवेश के सख्त खिलाफ है और उसने इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की सरकार को चेतावनी दे दी है।
सरकार की सांसत की एक अन्य वजह यह भी है कि एयर इंडिया के विनिवेश के प्रति निजी कंपनियों में जिस उत्साह की उम्मीद थी वह दिखाई नहीं दे रही है। जिन कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई है, उनकी एयर इंडिया के संचित घाटे, भारी कर्ज के बोझ को लेकर अनेक आशंकाएं हैं तथा वे इसे वहन करने को लेकर हिचकिचाहट दिखाई देती है। ज्यादातर प्रस्ताव एयर इंडिया की लाभदायक इकाइयों को अधिग्रहीत करने को लेकर आ रहे हैं। पूरी की पूरी एयर इंडिया को एक साथ खरीदने का कोई प्रस्ताव अब तक सामने नहीं आया है। इसके अलावा एयर इंडिया की विदेशी संपत्तियों को लेकर भी तमाम प्रश्न हैं। ऐसे में हर संभव कोशिश के बावजूद विनिवेश पर तेजी से आगे बढ़ने में सरकार को मुश्किल पेश आ रही है।
सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति में विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री सुरेश प्रभु तथा ऊर्जा व कोयला मंत्री पीयूष गोयल को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने समिति को विनिवेश प्रक्रिया पर जल्दी सिफारिशें देने को कहा है। लेकिन समिति के सदस्यों को लगता है कि मौजूदा हालात में एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर तेजी सरकार के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदेह साबित हो सकती है।