जीएसटी प्रभाव: नए कर सुधार की जटिलताओं ने छोटे उद्यमों को किया बिजनेस से बाहर, गई लोगों की नौकरियां
बाथला ने बताया कि उनके पड़ोसियों में से अधिकांश कभी स्कूल नहीं गए और वो ऑनलाइन माध्यम से जीएसटी के अंतर्गत जरूरी मासिक रिटर्न फाइल करने की स्थिति में नहीं हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। उत्तर भारतीय शहर पानीपत जिसे देश की 'टेक्सटाइल सिटी' के नाम से भी जाना जाता है की व्यस्ततम सड़क पर तिलक राज बाथला के छोटे बुनाई कारखाने से अभी भी आवाज (मशीनों की) आती है। जबकि आस-पास के दो दर्जन से अधिक कारखानों को बंद कर दिया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक साल (1 जुलाई 2017) हो चुका है। इसे आजाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार कहा गया जिसका उद्देश्य केंद्र एवं राज्य स्तर पर लगने वाले तमाम करों को खत्म करना था, साथ ही इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था का एकीकरण करना भी था।
सरकार के इस कदम ने आर्थिक दक्षता को तो सुधारा, लेकिन आलोचकों का मानना है कि इस नई कर व्यवस्था ने काफी सारे छोटे उद्यमों को व्यापार प्रणाली से बाहर कर दिया है और लाखों लोगों को बेरोजगार होने पर मजबूर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जीएसटी का सबसे बड़ा नुकसान नौकरियों का जाना है। यह कमी आगामी विधानसभा चुनाव और वर्ष 2019 के आम चुनाव में उनके लिए महंगा साबित हो सकता है।
बाथला ने बताया कि उनके पड़ोसियों में से अधिकांश कभी स्कूल नहीं गए और वो ऑनलाइन माध्यम से जीएसटी के अंतर्गत जरूरी मासिक रिटर्न फाइल करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके कुछ कस्टमर और आपूर्तिकर्ता अकाउंटेंट को रखने में सक्षम नहीं हैं जो कि उस सिस्टम की परख कर सकें जिसमें कई बार संशोधन किया जा चुका है।