सीमेंट कंपनियों को 630 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश
नई दिल्ली। प्रतिस्पर्धा अपीलीय ट्रिब्यूनल [कॉम्पैट] ने सीमेंट कंपनियों पर लगे 6,307 करोड़ रुपये जुर्माने के मामले में उन्हें 10 फीसद रकम जमा करने का आदेश दिया है। नियामक ने 10 सीमेंट कंपनियों और उनके संगठन सीमेंट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन [सीएमए] को यह रकम अगले चार हफ्ते में जमा कराने को कहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि रकम जमा नहीं कराने पर जुर्माने के खिलाफ कॉम्पैट में इन कंपनियों की याचिका खारिज हो जाएगी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग [सीसीआइ] ने पिछले साल गुटबाजी करके सीमेंट के दाम बढ़ाने का दोषी पाए जाने पर यह जुर्माना लगाया था।
नई दिल्ली। प्रतिस्पर्धा अपीलीय ट्रिब्यूनल [कॉम्पैट] ने सीमेंट कंपनियों पर लगे 6,307 करोड़ रुपये जुर्माने के मामले में उन्हें 10 फीसद रकम जमा करने का आदेश दिया है। नियामक ने 10 सीमेंट कंपनियों और उनके संगठन सीमेंट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन [सीएमए] को यह रकम अगले चार हफ्ते में जमा कराने को कहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि रकम जमा नहीं कराने पर जुर्माने के खिलाफ कॉम्पैट में इन कंपनियों की याचिका खारिज हो जाएगी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग [सीसीआइ] ने पिछले साल गुटबाजी करके सीमेंट के दाम बढ़ाने का दोषी पाए जाने पर यह जुर्माना लगाया था।
देश की दिग्गज सीमेंट कंपनियों अल्ट्राटेक, अंबुजा सीमेंट, एसीसी और जयप्रकाश एसोसिएट्स पर सबसे ज्यादा जुर्माना लगा है। इनके अलावा इंडिया सीमेंट्स, मद्रास सीमेंट्स और फ्रांसीसी कंपनी की भारतीय इकाई लाफार्ज एसए भी इनमें शामिल हैं। इन कंपनियों ने सीसीआइ के फैसले को कॉम्पैट में चुनौती दे रखी है। कॉम्पैट के इस आदेश को कुछ कंपनियां सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रही हैं मगर अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है। कॉम्पैट ने अपने आदेश में कहा कि हमने जुर्माने पर रोक लगाने का विकल्प चुना है लेकिन इसके लिए कंपनियों को पहले जुर्माने की 10 फीसद रकम जमा करनी होगी। न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि कंपनियां यह रकम जमा करने में असफल रहीं तो उनकी याचिका स्वत: खारिज हो जाएगी।
ट्रिब्यूनल ने जुर्माने पर रोक लगाई है लेकिन बाकी आदेश लागू रहेंगे क्योंकि ट्रिब्यूनल ने कंपनियों के खिलाफ सीसीआइ के निष्कर्षो को प्राथमिक तौर पर सही पाया है। पीठ ने कहा कि सीसीआइ के निष्कर्ष में हमें प्राथमिक तौर पर कोई कमी नजर नहीं आई है, इसलिए हम कंपनियों के खिलाफ सीसीआइ के बंदी और जब्ती के आदेश पर रोक लगाने की मांग अस्वीकार करते हैं। इस मामले पर अंतिम सुनवाई अगस्त में होगी।