क्षमता के बेहतर उपयोग की संभावनाएं तलाश रहीं कंपनियां, कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग में दिख रही आस
बिक्री में कमी के चलते एफएमसीजी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व कंज्यूमर ड्यूरेबल बनाने वाली कई कंपनियां अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। (PCPixabay)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मांग में कमी के चलते सीमित हुए उत्पादन के बाद कंपनियों ने क्षमता के बेहतर उपयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इसके लिए घरेलू कंपनियां अपने सेक्टर की विदेशी कंपनियों के साथ कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग की संभावनाएं तलाश रही हैं। इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक हाल में इस तरह के हुए कुछ अनुबंधों ने इन प्रयासों की रफ्तार को और बढ़ाया है।घरेलू बाजार में मांग घटने से कई सेक्टरों में कंपनियों को अपना उत्पादन घटाना पड़ा है। इंडस्ट्री से जुड़े लोग बताते हैं कि अधिकांश कंपनियां अपनी क्षमता का करीब 75 परसेंट ही इस्तेमाल कर पा रही हैं।
ऐसे में कंपनियों को कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग में संभावनाएं दिख रही हैं। हाल ही में सरकार ने इस क्षेत्र में 100 परसेंट एफडीआइ की ऑटोमैटिक मंजूरी का निर्णय भी लिया है। अगर विभिन्न इंडस्ट्री सेग्मेंट में काम कर रही कंपनियां इस दिशा में आगे बढ़ती हैं तो वे अपनी क्षमता का बेहतर उपयोग कर पाएंगी। साथ ही इससे रोजगार के अवसरों को भी बनाए रखने में मदद मिलेगी।
बिक्री में कमी के चलते एफएमसीजी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व कंज्यूमर ड्यूरेबल बनाने वाली कई कंपनियां अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग की संभावनाओं को कंपनियां अपनी लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा भी बना सकेंगी। इससे उन्हें घरेलू बाजार में हो रहे रेवेन्यू के नुकसान की भरपाई का भी मौका मिलेगा।
कंपनियों की तरफ से हो रहे इस तरह के प्रयासों पर बिजनेस एडवाइजरी एजेंसी अडवाया इक्विटी के के. श्रीनिवास का कहना है कि इससे कंपनियों को क्षमता निर्माण पर किए गए निवेश पर रिटर्न की दर को बनाए रखने में मदद मिलेगी। हाल ही में कुछ कंपनियों ने इस दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं। इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का मानना है कि सुस्त होती अर्थव्यवस्था में कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग से कंपनियों को काफी राहत मिल सकती है। खासतौर पर मझोली और छोटे आकार वाली कंपनियों के लिए यह काफी लाभदायक हो सकता है।
गौरतलब है कि देश में ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी के अलावा कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मांग में भी कमी आ रही है। कंपनियों का मानना है कि कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग के जरिये घरेलू कंपनियों को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और आरएंडडी के क्षेत्र में भी मदद मिलेगी। श्रीनिवास मानते हैं कि घरेलू कंपनियों के लिए अपनी वृद्धि दर को बनाए रखने में भविष्य में कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।