CPAI ने Sebi से की 31 मार्च तक Stock Markets को बंद करने मांग
CPAI ने मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) से स्टॉक मार्केट को बंद करने का अनुरोध किया है। सीपीएआई ने सेबी से 31 मार्च तक सभी एक्सचेंजों में कामकाज को बंद करने का अनुरोध किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। द कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CPAI) ने मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) से स्टॉक मार्केट को बंद करने का अनुरोध किया है। सीपीएआई ने सेबी से 31 मार्च तक सभी एक्सचेंजों में कामकाज को बंद करने का अनुरोध किया है। सीपीएआई ने कहा है कि सभी राज्य सरकारों ने ब्रोकिंग सेवाओं को आवश्यक सेवाओं का दर्जा नहीं दिया है , इसलिए लॉकडाउन के दौरान इसे भी बंद किया जाना चाहिए।
एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (Anmi) ने भी सेबी से कम से कम दो दिन तक स्टॉक एक्सचेंजों को बंद करने का अनुरोध किया है। एएनएमआई ने कहा है कि सभी राज्यों द्वारा स्टॉक ब्रोकिंग को लॉकडाउन में छूट देकर आवश्यक सेवाओं के दायरे में नहीं लाने की स्थिति में इससे ब्रोकरेज फर्म्स को अपने सभी मौजूदा पोजिशंस को बंद करने का समय मिलेगा।
एएनएमआई और सीपीएआई द्वारा यह मांग ब्रोकर्स, डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स और स्टॉक मार्केट्स से जुड़े दूसरे अन्य लोगों को लॉकडाउन के कारण अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने में हो रही कठिनाई के चलते की गई है। सीपीएआई ने सेबी से सभी राज्य सरकारों द्वारा ब्रोकिंग सर्विसेज को महाराष्ट्र की तर्ज पर आवश्यक सेवाओं का दर्जा देने की मांग की है।
सीपीएआई प्रेसिडेंट नरिंदर वाधवा ने सेबी को लिखे पत्र में कहा कि कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए इसके संक्रमण की चेन तोड़ने के मकसद से कई राज्यों की सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों जैसे- लॉकडाउन, कर्फ्यू और धारा-144 के कारण स्टॉफ का ऑफिस पहुंचना असंभव सा हो गया है और आने वाले दिनों में परेशानी और बढ़ सकती है। सोमवार को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि ब्रोकिंग संस्थाओं का स्टॉफ को बहुत बड़ी चुनौतियों से गुजरते हुए ऑफिस पहुंच रहा है, जिस कारण इन संस्थाओं द्वारा कामकाज जारी रखना बहुत मुश्किल हो गया है।
इससे अलग, केवल तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में ही स्टॉक ब्रोकिंग को आवश्यक सेवाओं का दर्जा दिया गया है। बाकी अन्य राज्यों ने स्टॉक ब्रोकिंग को आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं किया है।
वाधवा ने कहा, यहां सिर्फ मार्केट रिस्क या फाइनेंशियल रिस्क ही नहीं है, बल्कि ह्यूमन लाइफ भी खतरे में है, जो कि किसी भी सिस्टेमेटिक रिस्क से कई ज्यादा बड़ी है। स्थितियाँ काफी पेचीदा हैं। पूरे के पूरे महाराष्ट्र में कर्फ्यू के हालात हैं।'