करदाताओं की GST से जुड़ी सभी समस्याओं के निपटारे के लिए गठित होगी समिति
जोनल व राज्य के स्तर पर जो समिति बनेगी उसमें दो मुखिया होंगे। एक जोनल प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर या चीफ कमिश्नर ऑफ सेंट्रल टैक्स और दूसरा राज्य कर आयुक्त या चीफ कमिश्नर।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जीएसटी अदा करने वाले करदाताओं की तरफ से लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए सरकार ने अब इस दिशा में ठोस व्यवस्था करने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जीएसटी काउंसिल की पिछले हफ्ते हुई बैठक में जीएसटी अदायगी से जुड़ी हर तरह की शिकायत दूर करने के लिए एक अलग व्यवस्था बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए जोनल व राज्य स्तर पर शिकायतों का निपटारा करने के लिए समिति (ग्रीवांस रिएड्रेसल कमेटी-जीआरसी) गठित की जाएगी।
इसमें केंद्र व राज्य सरकार के कर विभाग के अधिकारियों के साथ ही कारोबार व उद्योग जगत या दूसरे जीएसटी करदाताओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे ताकि पारदर्शी तरीके से हर मामले का निपटारा हो सके।जोनल व राज्य के स्तर पर जो समिति बनेगी उसमें दो मुखिया होंगे। एक जोनल प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर या चीफ कमिश्नर ऑफ सेंट्रल टैक्स और दूसरा राज्य कर आयुक्त या चीफ कमिश्नर।
इसके अलावा समिति में उद्योगों या दूसरे संघों के 12 सदस्य शामिल किए जाएंगे। साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट, कर अधिवक्ताओं के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएंगे। इसमें केंद्रीय कर व राज्य कर के नोडल अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। जिस केंद्रीय कर जोन में एक से ज्यादा राज्य शामिल हैं, वहां हर राज्य के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।
इस स्थिति में केंद्र व राज्य के चीफ कमिश्नर या प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर मिलकर शिकायत निवारण समिति का नए सिरे से गठन करेंगे। जीआरसी दो वर्षो के लिए गठित होगा। बैठक में तीन लगातार बार शामिल नहीं होने वाले सदस्य की सदस्यता समाप्त मानी जाएगी। उसकी जगह दूसरे व्यक्ति को नामित किया जाएगा।
जीआरसी को करदाताओं से जुड़ी हर तरह की समस्या का समाधान निकालने का अधिकार दिया गया है। इसमें प्रक्रियागत समस्या हो, सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी हो या फिर किसी खास किस्म की हो, समिति सभी पर विचार कर उनका समाधान निकाल सकती है। इसकी हर तिमाही बैठक होगी। दोनों अध्यक्ष आपसी सहमति से इसके अलावा भी बैठक बुला सकते हैं।