विदेशी तकनीक से मिशन 2020 पूरा करेगी कोल इंडिया
कोल इंडिया का जोर विदेशी तकनीक से सुरक्षित खनन पर है
नई दिल्ली (आशीष अंबष्ठ)। दुनिया की दिग्गज कोयला उत्पादक कोल इंडिया का जोर विदेशी तकनीक से सुरक्षित खनन पर है। कंपनी की सहयोगी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की मुनीडीह खदान में चीन के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीक के जरिये कोयला खनन शुरू हो चुका है। अब जर्मनी ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाया है।
ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से आइआइटी आइएसएम में तैयार आधुनिक लैब में खान सुरक्षा संबंधी अध्ययन कार्य चालू है। मुनीडीह में खदान के अंदर चीनी मशीन के सफल ट्रायल से अफसरों का हौसला बुलंद है। वे कोल इंडिया की अन्य यूनिटों में भी इस तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं।
मुनीडीह में पावर सपोर्ट लांगवाल माइनिंग (पीएसएलडब्ल्यू) के माध्यम से कोयला निकाला जा रहा है। वहां 15 सीम में कोयला खनन करने के लिए नई खदान खोली जा रही है। इसमें जर्मन तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। बीसीसीएल ने हाई तकनीक के इस्तेमाल पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च करने की योजना बनाई है। कोल इंडिया की एक दर्जन से अधिक भूमिगत खानों में कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया, चीन और जर्मनी की तकनीक अपनाई जा रही है। भारत में 600-700 फीट नीचे तक कोयला खनन किया जा रहा है। जबकि विदेश में एक किमी की गहराई तक से कोयला निकाला जा रहा है।