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एक बोतल में समाएगा एक बोरी Urea, सहकारी कंपनी IFFCO ने ईजाद किया विश्व का पहला नैनो यूरिया

50 किग्रा की एक बोरी Urea की जगह मात्र आधा लीटर Nano Urea (तरल) काफी होगी। किफायती होने के साथ यह फसलों के लिए कारगर भी होगी। इस नैनो तरल यूरिया का विकास गुजरात के कलोल में स्थित इफको नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में किया गया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 08:02 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 07:02 AM (IST)
एक बोतल में समाएगा एक बोरी Urea, सहकारी कंपनी IFFCO ने ईजाद किया विश्व का पहला नैनो यूरिया
IFFCO invented worlds First Nano Urea P C : Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खेती में यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग को रोकने की गंभीर समस्या से निजात पाने में नैनो यूरिया हर तरह से मुफीद साबित होगी। सहकारी क्षेत्र की कंपनी IFFCO की आधुनिक ईजाद ने यह संभव कर दिखाया है। 50 किग्रा की एक बोरी Urea की जगह मात्र आधा लीटर Nano Urea (तरल) काफी होगी। किफायती होने के साथ यह फसलों के लिए कारगर भी होगी। इस नैनो तरल यूरिया का विकास गुजरात के कलोल में स्थित इफको नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में किया गया है। इफको की 50वीं आमसभा की बैठक में विश्व की पहली नैनो यूरिया को पेश किया गया, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

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आमसभा की बैठक में बताया गया कि पोषक तत्वों से भरपूर, मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण को कम करने में सक्षम होगी। ग्लोबल वार्मिंग को घटाने में यह बहुत लाभदायक होगी। फसल में विकास में इसका योगदान किसी मामले में कम नहीं होगा। इफको दावा है कि नैनो यूरिया के प्रयोग से फसलों की उपज में आठ फीसद तक बढ़ेगी। फसलों व उपज की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ खेती की लागत में कमी आएगी, जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) की आमसभा की बैठक में पेश करते हुए कहा गया कि पूरी दुनिया के किसानों के लिए यह अपने किस्म की पहली तरल यूरिया है। मिट्टी की पोषण क्षमता को बनाए रखने के लिए इफको का जैव प्रौद्योगिका का रिसर्च सेंटर इस तरह की यूरिया को तैयार करने में लंबे समय से काम कर रहा था। यूरिया की यह किस्म आत्म निर्भर कृषि की दिशा में एक सार्थक कदम है।

नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा । नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित पोषक तत्व प्राप्त होंगे। मिट्टी में परंपरागत यूरिया के प्रयोग को घटाने में मदद मिलेगी। फिलहाल रासायनिक यूरिया से पौधों में कई तरह के रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। फसलों के पकने में बहुत विलंब होता है।

नैनो यूरिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है। खेतों में खड़ी फसलों को गिरने से बचाता है । नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है। इसके परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी । राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के तहत भारतीय कृषि अऩुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 20 संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में 43 फसलों पर किए देश के विभिन्न हिस्सों और बहु फसली परीक्षणों के आधार पर इफको नैनो यूरिया को उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) में शामिल कर लिया गया है।

इसके प्रभाव का परीक्षण करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कुल 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) भी कर लिए गए हैं। हाल ही में पूरे देश में 94 फसलों पर हुए परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है । इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ हो जाएगा। बहुत जल्दी ही बाजार में किसानों के लिए उपलब्ध होने लगेगी। इफको ने किसानों के लिए 500 मिली नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240 रुपए निर्धारित की गई है।


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