दिल्ली छोड़ अन्य शहरों में सस्ती होगी सीएनजी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के 50 शहरों में अब सीएनजी की कीमत में अच्छी खासी कमी हो सकती है। केंद्र सरकार ने अब इन शहरों में एक समान कीमत पर सीएनजी व पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की आपूर्ति करने का फैसला किया है। यह निर्णय गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए लिया गया है। इसका असर आने वाले दिनों में पेट्रोलियम व ऑटो उद्योगों
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के 50 शहरों में अब सीएनजी की कीमत में अच्छी खासी कमी हो सकती है। केंद्र सरकार ने अब इन शहरों में एक समान कीमत पर सीएनजी व पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की आपूर्ति करने का फैसला किया है। यह निर्णय गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए लिया गया है। इसका असर आने वाले दिनों में पेट्रोलियम व ऑटो उद्योगों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार की सिटी गैस परियोजना भी अब रफ्तार पकड़ेगी।
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मौजूदा नियम के मुताबिक घरेलू भंडार से निकाली गई एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) की बिक्री दिल्ली और मुंबई में होती है। वहीं, विदेश से आयातित एलएनजी (जो काफी महंगी होती है) की आपूर्ति देश के अन्य हिस्सों में की जाती है। घरेलू एलएनजी की कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस नापने की यूनिट) है, जबकि आयातित एलएनजी की कीमत 15 से 16 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पड़ रही है। इसकी वजह से दिल्ली में सीएनजी काफी सस्ती है, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों में इसकी कीमत काफी ज्यादा है। फिलहाल दिल्ली में सीएनजी की कीमत 45.60 रुपये प्रति किलो है। इस वजह से ही देश के 51 शहरों में सीएनजी और पीएनजी को बढ़ावा देने की सरकार की नीति परवान नहीं चढ़ पा रही थी। इस मुद्दे पर गुजरात हाई कोर्ट ने अहमदाबाद को भी दिल्ली व मुंबई की कीमत पर ही सीएनजी आपूर्ति करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले का समर्थन किया था। तब जाकर केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक ही कीमत पर सीएनजी की आपूर्ति करने का फैसला किया है।
बहरहाल, अभी सिटी गैस परियोजना के तहत देश के चयनित हिस्सों में 80 फीसद घरेलू और 20 प्रतिशत आयातित एलएनजी के मिश्रण की आपूर्ति की जाएगी। इससे कई अन्य शहरों में सीएनजी की कीमत एक चौथाई फीसद तक कम हो सकती है। आगे मांग बढ़ने पर अगर घरेलू सीएनजी की आपूर्ति कम पड़ती है तो आयातित सीएनजी का हिस्सा बढ़ा दिया जाएगा। घरेलू स्तर पर अभी सीएनजी की मांग लगभग 80 लाख घनमीटर रोजाना है। इसकी आसानी से घरेलू आपूर्ति की जा सकती है।
इस फैसले से माना जा रहा है कि कई शहरों में सीएनजी चलित वाहनों की संख्या बढ़ेगी। कुछ राज्य सरकारें दिल्ली की तर्ज पर सिर्फ सीएनजी चालित सार्वजनिक वाहन चलाने का निर्णय ले सकती हैं। इससे सीएनजी की मांग बढ़ेगी। इसके उलट पेट्रोल और डीजल की मांग कम होगी। माना जा रहा है कि इस फैसले से आने वाले दिनों में सीएनजी चालित वाहनों की भी मांग बढ़ेगी। इसका ऑटो उद्योग पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।