नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को हो सकता है 1.28 लाख करोड़ का नुकसान: सीएमआईई
देश में नोटबंदी के बाद 50 दिनों के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
नई दिल्ली। देश में नोटबंदी के बाद 50 दिनों के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। यह अनुमान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) का है।
सीएमआईई ने एक रिपोर्ट में बताया, ''मंडियों में कामकाज घटने, मॉल्स में लोगों की आवाजाही कम होने, रेस्त्रां का कारोबार घटने और फैक्ट्रियों में कामकाज ठप होने की लगातार आ रहीं खबरें निराशाजनक तस्वीर बना रही हैं। ये सब बाजार से नकदी को अचानक निकाल लेने के कारण हो रहा है।''
सीएमआईई ने यह भी कहा है कि ये सभी अनुमान संतुलित तरीके से लगाए गए हैं। साथ ही ऐसा करते हुए 50 दिनों की अवधि को ध्यान में रखा गया है। सरकार और आरबीआई के इस कदम के चलते 16,800 करोड़ रुपए की लागत का बोझ उठाना पड़ सकता है। यह लागत मुख्य तौर पर नई करेंसी की छपाई, उन्हें बैंकों की शाखाओं, एटीएम और डाकघरों तक पहुंचाने में लगेगी।
कारोबारियों को सबसे ज्यादा नुकसान
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का कहना है कि इस नोटबंदी का सबसे बड़ा नुकसान कंपनियों और कारोबारियों को उठाना पड़ सकता है। इस कदम का तात्कालिक प्रभाव 61,500 करोड़ रुपए का हो सकता है, जो नोटबंदी की कुल लागत का 48 फीसदी है। सीएमआईई ने कहा, ''हमने इस बात का अनुमान लगाया है कि नोटबंदी के बाद लोगों ने बुनियादी चीजों से इतर वस्तुओं पर जो खर्च घटाया है, उसका कंपनियों और कारोबारियों पर कितना सीधा असर होगा। 50 दिनों की अवधि में अकेले ही 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो गया है।''
बैंकिंग सेक्टर पर बढ़ेगा बोझ
रिपोर्ट में बताया गया है कि कारोबारियों के बाद सबसे बड़ी चपत बैंकों को लगेगी। सीएमआईई के अनुसार बैंकिंग सेक्टर को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। बैंकर्स का वेतन स्तर बैंकों और एटीएम के सामने लंबी लाइनों में खड़ी जनता से काफी ज्यादा है और एटीएम को नए नोटों के हिसाब से तैयार करने में उन्हें काफी खर्च उठाना होगा। रिपोर्ट में कहा गया, इन 50 दिनों में बैंकों का असल कामकाज काफी प्रभावित हुआ है। हमारा अनुमान है कि उन्हें इस दौरान 35,100 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का कहना है कि पुराने नोटों को बदलवाने के लिए लाइनों में खड़े लोगों के सिर पर इस लागत का 12 प्रतिशत हिस्सा जाएगा। इस दौरान अपना रोजमर्रा का वेतन या मजदूरी गंवाने के चलते वे कुल 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठा सकते हैं। सीएमआईई ने कहा है कि नोटबंदी का लंबी अवधि में असर कहीं अधिक हो सकता है। साथ ही यह भी कहा, ''हमारे सारे अनुमान संयत हैं। सभी अनुमान 50 दिनों की अवधि को ध्यान में रखते हुए लगाए गए हैं। हालांकि लिक्विडिटी कम होने, सप्लाई चेन टूटने और ग्राहकों का हौसला पस्त होने का असर अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है।''