निवेश में सुधार और रोजगार पैदा करने के लिए श्रम कानून सुधारों को आगे बढ़ाना जरूरी: एसबीआई रिपोर्ट
केंद्र और राज्य सरकारों को श्रम कानून सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है
By NiteshEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 05:43 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 08:13 PM (IST)
नई दिल्ली (पीटीआइ)। केंद्र और राज्य सरकारों को श्रम कानून सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि निवेश में सुधार और रोजगार पैदा करने के लिए ये जरूरी हैं, एसबीआई ने गुरुवार को अपनी शोध रिपोर्ट 'इकोरैप' में ये बातें कहीं। अब तक श्रम कानून सुधारों की दिशा में पहल को देखते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं, ऐसे में रोजगार और रोजगार में सुधार करना, काम के मुद्दों को सुव्यवस्थित करना और उन साधनों को विकसित करना जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम कानून में सुधारों को लेकर अब तक जो भी पहल हुई हैं, वह 'नगण्य हैं।
श्रम कानून सुधारों के लिए एक मामले के सन्दर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेशक स्थिरता की ओर ध्यान देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि और श्रम संसाधन उनके लिए अपनी निवेश योजनाओं को मजबूती देने के लिए जरूरी है। वर्तमान में लगभग 44 केंद्रीय श्रम कानून और 100 से अधिक राज्य श्रम कानून हैं।
श्रम मंत्री ने मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं - मजदूरी पर श्रम संहिता, औद्योगिक संबंधों पर श्रम संहिता, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर श्रम संहिता, और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर श्रम संहिता के लिए कदम उठाए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार कोडों में से एक मजदूरी को अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था और अन्य तीन कोड सलाह मशविरा के लिए लाइन अप हैं और इसे तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग, घरेलू कामगारों के लिए अपने अधिकारों को पहचानने और बेहतर कार्य स्थितियों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्र निति को जल्द से जल्द लाने की जरूरत है, साथ ही सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्रीय कानून दोनों के जरिये कदम उठाए जा सकते हैं।
श्रम कानून सुधारों के लिए एक मामले के सन्दर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेशक स्थिरता की ओर ध्यान देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि और श्रम संसाधन उनके लिए अपनी निवेश योजनाओं को मजबूती देने के लिए जरूरी है। वर्तमान में लगभग 44 केंद्रीय श्रम कानून और 100 से अधिक राज्य श्रम कानून हैं।
श्रम मंत्री ने मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं - मजदूरी पर श्रम संहिता, औद्योगिक संबंधों पर श्रम संहिता, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर श्रम संहिता, और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर श्रम संहिता के लिए कदम उठाए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार कोडों में से एक मजदूरी को अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था और अन्य तीन कोड सलाह मशविरा के लिए लाइन अप हैं और इसे तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग, घरेलू कामगारों के लिए अपने अधिकारों को पहचानने और बेहतर कार्य स्थितियों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्र निति को जल्द से जल्द लाने की जरूरत है, साथ ही सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्रीय कानून दोनों के जरिये कदम उठाए जा सकते हैं।
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