लॉकडाउन में राज्यों द्वारा श्रम कानूनों को निलंबित करने के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने 22 मई को बुलाई देशव्यापी हड़ताल
Nationwide Labour Strike ट्रेड यूनियनों ने कहा कि श्रम कानूनों का निलंबन मानवाधिकारों और श्रम मानकों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। लॉकडाउन के दौरान कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानूनों को निलंबित करने के विरोध में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 22 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। साथ ही इन यूनियनों ने मामले को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में ले जाने का फैसला लिया है। इन दस यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, '14 मई 2020 को आयोजित बैठक मे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त प्लेटफॉर्म ने लॉकडाउन के दौरान देश में मजदूरों की स्थिति पर संज्ञान लिया है और एकजुट होकर चुनौती से निपटने का फैसला लिया गया है।'
बयान में आगे कहा गया, 'इस संयुक्त प्लेटफॉर्म ने 22 मई 2020 को सरकार की मजदूर विरोधी और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध दिवस आयोजित करने का निश्चय किया है।' केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को ज्वाइंट रिप्रजेंटेशन भेजने का भी फैसला किया है। उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों का निलंबन मानवाधिकारों और श्रम मानकों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश ने प्रमुख श्रम कानूनों को निलंबित किया है और मध्य प्रदेश ने लॉकडाउन को देखते हुए कुछ कानुनों को बदला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुजरात और त्रिपुरा सहित कई राज्य इसका अनुसरण कर रहे हैं। बयान में कहा गया, 'उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने की आड़ में कुछ श्रम कानूनों से अस्थायी छूट काअध्यादेश लाया गया।'
बयान में कहा गया कि जिन कानूनों को निलंबित किया गया उनमें ट्रेड यूनियन एक्ट, औद्योगिक विवाद अधिनियम, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिनियम, अनुबंध श्रम अधिनियम, अंतरराज्यीय प्रवासी श्रम अधिनियम, समान पारिश्रमिक अधिनियम और मातृत्व लाभ अधिनियम आदि शामिल है। बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने कानूनों में बदलाव किया है, जबकि गुजरात सरकार ने काम के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 करने का फैसला लिया है। बयान में कहा गया कि असम और त्रिपुरा सहित अन्य राज्य भी यह सब करने की तैयारी कर रहे हैं।