हाथों-हाथ कर्ज दिलाएगा आधार नंबर
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अगर आपने अभी तक आधार कार्ड नहीं बनवाया तो अब इसमें देरी न कीजिए। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आधार कार्ड को हर तरह के वित्तीय लेनदेन के लिए अनिवार्य बनाने जा रही है। यही नहीं, आधार नंबर के साथ हर व्यक्ति के वित्तीय लेनदेन का इतिहास भी जुड़ा होगा। बैंक सिर्फ आधार कार्ड के नंबर से ही यह पता चला लेंगे कि
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अगर आपने अभी तक आधार कार्ड नहीं बनवाया तो अब इसमें देरी न कीजिए। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आधार कार्ड को हर तरह के वित्तीय लेनदेन के लिए अनिवार्य बनाने जा रही है। यही नहीं, आधार नंबर के साथ हर व्यक्ति के वित्तीय लेनदेन का इतिहास भी जुड़ा होगा। बैंक सिर्फ आधार कार्ड के नंबर से ही यह पता चला लेंगे कि कार्डधारक पर कितना कर्ज है। कर्ज लौटाने में उसका रिकॉर्ड कैसा है।
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आधार कार्ड की उपयोगिता बढ़ाने में जुटे वित्त मंत्रालय ने इस बारे में अपनी योजना का खाका रिजर्व बैंक को भेज दिया है। रिजर्व बैंक के नए गवर्नर रघुराम राजन भी इसके समर्थन में है। गवर्नर का पदभार संभालने के दिए राजन ने आगामी सुधारों का जो एजेंडा पेश किया उसमें भी साफ कर दिया कि यह उनकी प्राथमिकताओं में होगा। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा है, 'इससे खुदरा कर्ज के क्षेत्र में जबरदस्त क्रांति का सूत्रपात होगा।' माना जा रहा है कि ग्राहकों के ऋण इतिहास को जानने के लिए 'सिबिल' से जानकारी देने के मौजूदा तरीके की भी तब जरूरत नहीं रहेगी। अभी हर बैंक ग्राहक के बारे में सिबिल में जानकारी दर्ज होती है। हाल के दिनों में सिबिल के बेहद गलत इस्तेमाल की भी सूचनाएं सामने आ रही हैं।
इस बारे में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि बैंक खातों को आधार नंबर के साथ लिंक करने के बाद यह स्कीम पूरे देश में लागू होगी। इतना तय है कि इससे कर्ज देने की पूरी प्रक्रिया काफी हद तक पारदर्शी बन जाएगी। बैंकों के लिए फैसला लेना आसान हो जाएगा कि किसे कर्ज देना है और किसे नहीं। साथ ही कार्डधारकों को भी कर्ज लेने के लिए तमाम पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे। लोन लेने के लिए कई तरह के कागजात मुहैया कराने की जरूरत भी नहीं रहेगी। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों और किसानों को खास तौर पर इससे फायदा होगा। चूंकि आधार नंबर का एक वर्गीकरण भी होता है, इसलिए बैंकों को पहले से मालूम होगा कि वे किसी कार्डधारक को किस हद तक कर्ज दे सकते हैं।
एक अधिकारी के मुताबिक अगर सरकार की यह नीति सही तरीके से लागू हो गई तो हाथों-हाथ कर्ज देना संभव हो जाएगा। इस व्यवस्था से बैंकों को पल भर में पता चल जाएगा कि अमुक आधार नंबर वाले ग्राहक पर कितना कर्ज है। वह कर्ज की अदायगी समय पर करता है या नहीं। उसे अतिरिक्त कर्ज दिया जा सकता है या नहीं। बैंकों के स्तर पर ग्राहकों की पहचान का सत्यापन कराने की भी जरूरत नहीं होगी। इससे उनकी लागत भी कम आएगी।