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COVID-19 से जुड़ी अनिश्चितता खत्म होने के बाद राजकोषीय उपायों की गुंजाइशः मुख्य आर्थिक सलाहकार

कोरोनावायरस संकट से मुकाबले के लिए सरकार ने मई में 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 05:45 PM (IST)
COVID-19 से जुड़ी अनिश्चितता खत्म होने के बाद राजकोषीय उपायों की गुंजाइशः मुख्य आर्थिक सलाहकार
COVID-19 से जुड़ी अनिश्चितता खत्म होने के बाद राजकोषीय उपायों की गुंजाइशः मुख्य आर्थिक सलाहकार

नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम ने बुधवार कहा कि कोविड-19 संकट से जुड़ी अनिश्चितता के खत्म होने के बाद सरकार मांग में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय उपायों की घोषणा कर सकती है। उन्होंने साथ ही इस बात की ओर इशारा किया कि 'काउंटर साइक्लिकल पॉलिसी' का होना महत्वपूर्ण है। उद्योग चैंबर फिक्की की ओर से आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैक्सीन आते ही बाजार में महामारी से जुड़ी चिंता बहुत हद तक कम हो जाएगी। 

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सुब्रमण्यम ने कहा, ''सरकारी खपत को लेकर जो कुछ भी किए जाने की जरूरत है सरकार वह करना चाहती है लेकिन उसका समय बहुत महत्वपूर्ण है...जब तक अनिश्चितता है, जिन लोगों के पास पैसे हैं, वे भी अपने पैसे बैंक में रखना चाहेंगे।'' 

सुब्रमण्यम ने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले खातों में जमा राशि में 20,000 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। इसका मतलब है कि लोग अनिश्चितता की वजह से खर्च करने की बजाय बचत कर रहे हैं।  

उन्होंने कहा, ''वैक्सीन आने के साथ अनिश्चितता कम होगी और वह सही समय होगा। मेरे ख्याल से वह समय राजकोषीय उपायों के लिहाज से काफी सही साबित होगी और उससे मांग में वास्तविक रूप से वृद्धि होगी, यहां तक कि गैर-जरूरी चीजों की मांग भी बढ़ेगी।'' 

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उन्होंने कहा कि मांग महत्वपूर्ण है। साथ ही काउंटर साइक्लिकल पॉलिसी भी अहम है लेकिन खर्च की गई राशि के मूल्य को सुनिश्चित करने के लिए टाइमिंग भी अहम है। 

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि सरकार ने आर्थिक रिकवरी को प्रोत्साहित करने के लिए भविष्य में और कदम उठाने का विकल्प खुला रखा है। 

कोरोनावायरस संकट से मुकाबले के लिए सरकार ने मई में 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसमें मुख्य रूप से बिजनेसेज की कठिनाइयों को ध्यान में रखा गया था। साथ ही इकोनॉमी के रिवाइवल का खाका भी खींचा गया है।


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