व्यापारी संगठन लोगों को जीएसटी पर न करें गुमराह
राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने व्यापारी संगठनों को नसीहत भी दी कि वे व्यापारियों और जनता को दिग्भ्रमित नहीं करें।
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने भरोसा दिलाया है कि एक जुलाई से देश में लागू होने जा रही नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली से जनता पर टैक्स का बोझ कम होगा। कारोबारियों को व्यापार में सहूलियत होगी। देश की आर्थिक विकास की गति तेज होगी। अढिया यहां शुक्रवार को रांची में राज्य के व्यवसायियों और उद्यमियों से जीएसटी आउटरीच प्रोग्राम में सीधे मुखातिब थे। इस दौरान उन्होंने जीएसटी के प्रत्येक पहलू पर बिंदुवार स्थिति स्पष्ट की।
उन्होंने व्यापारी संगठनों को नसीहत भी दी कि वे व्यापारियों और जनता को दिग्भ्रमित नहीं करें। अढिया ने कहा कि देश में एक ऐसा कर सुधार होने वाला है, जिससे सभी को फायदा होगा। मल्टीपल टैक्स की परंपरा खत्म होगी। इंस्पेक्टर राज से मुक्ति मिलेगी। आज आम आदमी को मालूम ही नहीं होता कि वह कितने तरह के टैक्स देता है।
वैट में रजिस्टर्ड कारोबारी को कई बार इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता। ये सभी विसंगतियां खत्म होंगी। हमने हाल ही में आकलन किया है कि आम लोगों की जरूरत की 89 वस्तुओं पर कर की दर जीएसटी के आने के बाद कम होगी। कर प्रणाली सरल होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा।
अर्थव्यवस्था भी तेज रफ्तार पकड़ेगी। एक आकलन के अनुसार ढुलाई में लगे ट्रकों का 35 फीसद समय चेकपोस्ट पर ही चला जाता है। अब यह समय नहीं लगेगा। ढुलाई में भ्रष्टाचार खत्म होगा। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही मुनाफाखोरी रोकने के लिए नियम लेकर आएगी।
मेक इन इंडिया को मिलेगी गति: राजस्व सचिव के मुताबिक जीएसटी लागू होने से देश का निर्यात बढ़ेगा। इसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर पड़ेगा। देश की जीडीपी में एक से दो फीसद तक वृद्धि होगी। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह भी स्पष्ट किया जीएसटी प्रणाली देश में तैयार होने वाले और विदेश से आयातित माल के टैक्स विसंगति को भी दूर करेगी। इससे मेक इन इंडिया को गति मिलेगी।
ई-वे बिल सिस्टम तैयार करेगा एनआइसी!
नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) को इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) तैयार करने का काम मिल सकता है। इस बात की पूरी संभावना है कि जीएसटी काउंसिल वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल जनरेट करने के सॉफ्टवेयर को तैयार करने के लिए कहेगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राज्य के भीतर और बाहर 50,000 रुपये मूल्य से अधिक के माल परिवहन के लिए जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन में पंजीकरण अनिवार्य बनाया गया है।