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VRS योजना: कारोबार में न आए कोई दिक्कत, BSNL विभिन्न विकल्पों पर कर रही विचार

बीएसएनएल को उम्मीद है कि 70000 से 80000 कर्मचारी वीआरएस योजना को अपनाएंगे और इससे वेतन मद में करीब 7000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

By NiteshEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 05:47 PM (IST)
VRS योजना: कारोबार में न आए कोई दिक्कत, BSNL विभिन्न विकल्पों पर कर रही विचार

नई दिल्ली, पीटीआइ। दूरसंचार विभाग ने भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) को ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन एक्सचेंज की व्यवस्था सुचारू बनाये रखने के लिए कहा है। दरअसल, कंपनी के करीब आधे कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) अपना सकते हैं, इसकी संभावना को देखते हुए यह बात कही गई है। अगर बदलाव होता है तो विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। दूरसंचार विभाग के एक सूत्र ने बताया कि मामले पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, उन्होंने बताया कि वीआरएस योजना की वजह से एक्सचेंज के रखरखाव और अन्य कार्यों पर कोई प्रभाव न पड़े इसे लेकर बैठकें जारी हैं।

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बता दें कि वीआरएस योजना के सामने आने के बाद महज चार दिन में ही कंपनी के 57,000 कर्मचारियों ने आवेदन कर दिया है। वीआरएस योजना में एमटीएनएल के कर्मचारी भी हैं, दोनों कंपनियों को मिलाकर वीआरएस के लिए आवेदन करने वाले कर्मचारियों की संख्या 60,000 से ऊपर पहुंच गई है। बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या करीब 1.50 लाख है। इसमें से करीब एक लाख कर्मचारी वीआरएस के दायरे में आते हैं।

कंपनी का ऐसा मानना है कि करीब 77,000 कर्मचारी इस योजना का लाभ उठाएंगे। इसका मतलब है कि अगर इतने कर्मचारी वीआरएस का विकल्प चुनते हैं, कर्मचारियों की संख्या आधी हो जाएगी। मौजूदा योजना के तहत वीआरएस की प्रभावी तारीख 31 जनवरी 2020 है। इस बारे में बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने इस बात की पुष्टि की कि इस मामले में चर्चा शुरू की गई है और निगम कामकाज को जारी रखने और उसके पुनर्गठन की योजना बना रही है। दूरसंचार विभाग के सूत्र ने कहा कि कुछ काम को आउटसोर्सिंग करने में भी वक्त लगेगा। वीआरएस जनवरी से प्रभाव में आएगा।

जल्दी ही समाधान निकालना होगा।

पिछले सप्ताह आयी बीएसएन की वीआरएस योजना तीन दिसंबर तक खुली रहेगी। बीएसएनएल को उम्मीद है कि 70,000 से 80,000 कर्मचारी वीआरएस योजना को अपनाएंगे और इससे वेतन मद में करीब 7,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। 


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