Stock Market: यूएस फेड रिजर्व के इंटरेस्ट रेट से जुड़े निर्णय एवं ये कारक तय करेंगे शेयर बाजारों की दिशा
Sensex and Nifty यूएस फेड रिजर्व एवं अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता की प्रगति से भारतीय शेयर बाजारों की दिशा तय होगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। इस सप्ताह ब्याज दर को लेकर फेडरल रिजर्व के फैसले, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड टॉक एवं महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों के आधार पर देश के शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। बीएसई के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स एवं एनएसई निफ्टी में निवेश करने वालों की नजर इन अहम पहलुओं पर रहेगी। विश्लेषकों के मुताबिक गुरुवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर को लेकर किए जाने वाले निर्णय का असर पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर देखने को मिलेगा। इस इवेंट का असर घरेलू बाजारों पर भी काफी ज्यादा देखने को मिलता है। इसके अलावा प्रमुख वृहद आर्थिक आंकड़े भी बाजार की चाल के लिहाज से अहम होंगे।
वैश्विक घटनाक्रम हैं अहम
सैमको सिक्योरिटीज एंड स्टॉकनोट के फाउंडर और सीईओ जिमीत मोदी ने कहा, ''इस सप्ताह कई वैश्विक घटनाक्रम की वजह से शेयर बाजारों में उथल-पुथल की स्थिति बनी रहनी की संभावना है। यूएस फेड की बैठक एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना होगी।''
अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता पर नजर
निवेशकों की नजर अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता पर भी बनी हुई है। वहीं घरेलू मोर्चे पर बात करें तो गुरुवार को कारोबारी घंटों के बाद औद्योगिक उत्पादन और मुद्रास्फीति से जुड़े आंकड़े जारी होंगे। इनका असर भी बाजार की दिशा तय करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। इन आंकड़ों से निवेशकों की धारणा पर असर देखने को मिलेगा।
आरबीआई के फैसले से बाजार में आई थी गिरावट
पिछले सप्ताह सेंसेक्स 348.66 अंक यानी 0.85 फीसद की गिरावट के साथ बंद हुआ था। सप्ताह के अंतिम दो सत्रों में शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गुरुवार को प्रमुख नीतिगत दरों को यथावत बनाये रहने से बाजार में गिरावट का दौर देखने को मिला। आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए ब्याज दर को 5.15 फीसद पर बनाये रखने का फैसला किया था। हालांकि, जीडीपी के हालिया आंकड़े को देखकर व्यापक तौर पर विश्लेषक ऐसा मानकर चल रहे थे कि भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.15 फीसद से 0.25 फीसद तक की कटौती कर सकता है। उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 फीसद रह गई।