वालमार्ट-फ्लिपकार्ट डील: जानिए ई-कॉमर्स क्षेत्र में देश के सबसे बड़े अधिग्रहण की बड़ी बातें
एक लाख करोड़ से अधिक में हुई डील, 13400 करोड़ रुपये अतिरिक्त निवेश करेगी वालमार्ट
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश के ई-कॉमर्स क्षेत्र में सबसे बड़े अधिग्रहण के जरिये अमेरिकी कंपनी वालमार्ट का प्रवेश हो गया है। अमेरिकी कंपनी वालमार्ट ने देसी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसद इक्विटी हिस्सेदारी खरीदकर इसका अधिग्रहण कर लिया है। वालमार्ट ने 16 अरब डॉलर (करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये) में फ्लिपकार्ट को खरीदने के बाद दो अरब डॉलर (करीब करोड़ रुपये) अतिरिक्त निवेश की भी योजना बनाई है। यह वालमार्ट का भी सबसे बड़ा अधिग्रहण है।
इतना बड़ा अधिग्रहण भारत में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में शानदार संभावनाओं को देखते हुए किया है। अनुमान है कि अगले दशक में ई-कॉमर्स कारोबार 200 अरब डॉलर होगा। इस क्षेत्र में उसका सीधा मुकाबला अमेरिका की ही कंपनी अमेजन से होगा। इस सौदे के लिए अभी वालमार्ट को कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआइ) समेत कई स्तरों पर मंजूरियां लेनी होंगी।
इस सौदे में फ्लिपकार्ट की कीमत 20.8 अरब डॉलर की आंकी गई है। इस सौदे में फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल की हिस्सेदारी भी शामिल है जो अब इस कंपनी का हिस्सा नहीं रहेंगे। यह सौदा इस वर्ष का विलय और अधिग्रहण का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है। यह सौदा इसलिए भी दिलचस्प है कि अभी देश में ई-कॉमर्स को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इसलिए यह देखना होगा कि सरकार की तरफ से कंपनी को किस तरह की कानूनी मंजूरियों की आवश्यकता होगी।
बाकी हिस्सेदारी शेष शेयरधारकों के पास
पिछले छह महीनों से चल रही बातचीत का पटाक्षेप करते हुए वालमार्ट ने बुधवार को इस सौदे का एलान किया। वालमार्ट की तरफ से बताया गया है कि फ्लिपकार्ट में बाकी हिस्सेदारी उसके शेष शेयरधारकों के पास ही रहेगी। इनमें कंपनी के दूसरे सह-संस्थापक बिन्नी बंसल, टेनसेंट होल्डिंग, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट और माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन शामिल हैं।
टेनसेंट होल्डिंग और टाइगर ग्लोबल फ्लिपकार्ट के बोर्ड में बने रहेंगे। जबकि वालमार्ट की ओर से एक सदस्य शामिल होगा। जापान की कंपनी सॉफ्टबैंक भी फ्लिपकार्ट में अपनी 20 फीसद हिस्सेदारी बेचकर बाहर हो गयी है। सॉफ्टबैंक इस कंपनी में सबसे बड़ा निवेशक थी। कंपनी ने कहा है कि वह फ्लिपकार्ट को भविष्य में शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने में मदद करेगी। इस सौदे के बाद भारतीय ई-कॉमर्स के बाजार में अमेजन के बाद वालमार्ट दूसरी अहम विदेशी कंपनी बन जाएगी।
अभी अलग रहेंगी दोनों कंपनियां
अधिग्रहण के बाद भी वालमार्ट व फ्लिपकार्ट अभी जिन क्षेत्र में हैं, वहां अलग-अलग काम करते रहेंगे। फिर भी इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि आगे चलकर दोनों कंपनियों को एक ही ढांचे के भीतर लाया जाए।
क्यों अहम है सौदा
वालमार्ट के प्रेसिडेंट और सीईओ डग मैकमिलन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे आकर्षक खुदरा बाजार है। वालमार्ट का यह निवेश उस कंपनी में भागीदार बनने का अवसर देता है जिसने ई-कॉमर्स बाजार को बदलने में अहम भूमिका निभायी है। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक व ग्रुप सीईओ बिन्नी बंसल का कहना है कि यह निवेश भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और खरीदारों और विक्रेताओं के साथ हमें और गहराई से जुड़ने में मदद करेगा। वालमार्ट इंडिया के प्रवक्ता और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रजनीश कुमार ने बताया कि सौदे को अंतिम रूप इस साल के अंत तक मिल पाएगा। देश के ई-कॉमर्स मार्केट में फ्लिपकार्ट की सबसे ज्यादा 34 फीसद हिस्सेदारी है जबकि अमेजन की हिस्सेदारी 27 फीसद है।
फ्लिपकार्ट ने भी किए थे कई अधिग्रहण
2007 में स्थापित फ्लिपकार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में कई अहम पड़ाव हासिल किए। कंपनी ने मिंतरा, जाबोंग और फोन पे सरीखी कई कंपनियों के अधिग्रहण से अपना आकार बढ़ाया। साल 2017-18 में कंपनी ने 4.6 अरब डॉलर की बिक्री दर्ज की। कंपनी 80 से अधिक श्रेणियों में करीब 80 लाख उत्पादों की बिक्री करती है।
पहले से मौजूद है वालमार्ट
वालमार्ट कंपनी का पहले भारती रिटेल के साथ करार हुआ था। बाद में समझौता समाप्त होने के बाद वालमार्ट इंडिया देश में कैश एंड कैरी (थोक) के 21 स्टोर संचालित कर रही है। कंपनी 95 फीसद उत्पादों की खरीद घरेलू स्तर पर ही करती है।
न्यूयॉर्क में वालमार्ट का शेयर गिरा
अधिग्रहण की घोषणा के बाद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में वालमार्ट का शेयर चार फीसद से ज्यादा गिर गया। उसका बाजार पूंजीकरण करीब दस अरब डॉलर घट गया। कंपनी का पूंजीकरण घटकर 242 अरब डॉलर रह गया। मंगलवार को इसका शेयर 85.74 डॉलर पर बंद हुआ था।’
सौदे की अहम बातें
• वालमार्ट की तरफ से स्टुअर्ट वाल्टन फ्लिपकार्ट के बोर्ड में सदस्य के उम्मीदवार
• बिन्नी बंसल, टेनसेंट, टाइगर ग्लोबल और माइक्रोसॉफ्ट शेयरधारक के तौर पर कंपनी में रहेंगे’
• फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर हुए