Bharat Bandh 2020: 'भारत बंद' से बैंकिग सेवाएं प्रभावित, सामान्य जीवन-यापन पर भी पड़ा असर
Bharat Band 2020 ट्रेन सेवाएं अप्रभावित रही हैं। केरल में सड़कों को बंद रखने के कारण राज्य की बसों सहित कई वाहन नहीं चल सके।
नई दिल्ली, पीटीआइ। बुधवार को ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाए गए 'भारत बंद' से देशभर में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं। बंद का खासा असर असम, पश्चिम बंगाल और केरल में बैंकिंग सेवाओं पर पड़ा है। इन राज्यों में रेल और सड़क यातायात भी प्रभावित रहा है। हड़ताल की वजह से देश में कई जगहों पर सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में नकदी जमा करने और निकालने समेत अन्य गतिविधियां प्रभावित रहीं। ज्यादातर बैंक पहले ही अपने ग्राहकों को हड़ताल और उससे बैंकिंग सेवाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में ग्राहकों को बता चुके हैं। बैंक कर्मचारियों के सगठनों ने हड़ताल का समर्थन किया है।
हालांकि, सरकारी विभागों में ट्रेड यूनियनों द्वारा छिटपुट प्रदर्शनों को रोक दिया गया। ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि इस हड़ताल में लगभग 25 करोड़ लोग शामिल हो रहे हैं। हालांकि, खबर लिखने तक देश में कहीं से भी आवश्यक सेवाओं पर किसी तरह के प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं है। ट्रेन सेवाएं अप्रभावित रही हैं। केरल में सड़कों को बंद रखने के कारण राज्य की बसों सहित कई वाहन नहीं चल सके।
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने शहर और लंबी दूरी की सेवाओं का संचालन नहीं किया। बहुत कम निजी वाहन और ऑटो-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते देखे गए। पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों से सड़क और रेल यातायात रोके जाने की खबर है। हड़तालियों ने राज्य के कुछ हिस्सों में रैलियां भी निकालीं और उत्तर 24 परगना जिले में सड़कों और रेलवे पटरियों को ठप कर दिया। हालांकि, पुलिस ने उन्हें बाद में वहां से हटाया।
कोलकाता में सरकारी बसें सामान्य रूप से चलने की खबर है, लेकिन शुरुआती घंटों में निजी बसों की संख्या सामान्य से कम थी। शहर में मेट्रो सेवाएं सामान्य हैं और सड़कों पर ऑटो-रिक्शा और टैक्सियां भी चल रही हैं। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि उन्होंने सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है। इस हड़ताल में बैंकिंग, कोयला, तेल, डिफेंस, पब्लिक सेक्टर और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र के कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें 10 ट्रेड यूनियन का महत्वपूर्ण योगदान है।
ये हैं कर्मचारियों की मुख्य मांगें
21 हजार रुपये हो न्यूनतम वेतन, निजीकरण, वैश्वीकरण और उदारीकरण को रोका जाए, जो श्रम कानून मजदूर विरोधी हैं, उन्हें हटाया जाए, पुरानी पेंशन बहाल हो, उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों का एकीकरण किया जाए। आउटसोर्सिंग, संविदा और ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगायी जाए।, बैंक, इंश्योरेंस और रेलवे क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश पर रोक लगे।