कुछ इस तरह धोखा देते हैं बिल्डर
रीयल एस्टेट में किसी भी तरह के नियमन के न होने की वजह से हर मोड़ पर धोखे की संभावना बनी रहती है। शुरुआत करते हैं प्री-लांचिंग की मृग मरीचिका केसाथ। सबसे सस्ता, सबसे बेहतर, जबरदस्त रिटर्न जैसे लुभावने ऑफर केसाथ बिना किसी भी मंजूरी केबुकिंग शुरू होना धोखे का पहला पड़ाव होता है। उसकेबाद आती हैं शर्ते और कीमत का
रीयल एस्टेट में किसी भी तरह के नियमन के न होने की वजह से हर मोड़ पर धोखे की संभावना बनी रहती है। शुरुआत करते हैं प्री-लांचिंग की मृग मरीचिका केसाथ। सबसे सस्ता, सबसे बेहतर, जबरदस्त रिटर्न जैसे लुभावने ऑफर केसाथ बिना किसी भी मंजूरी केबुकिंग शुरू होना धोखे का पहला पड़ाव होता है। उसकेबाद आती हैं शर्ते और कीमत का निर्धारण।
सुपर एरिया केआधार पर कीमतें तय होती हैं और फ्लैट मिलने केबाद आपको पता चलता है किपानी की टंकी और बिजली केखंभे से लेकर, सीढ़ी, लिफ्ट, कॉमन हॉल का एरिया भी आपकेसुपर एरिया का हिस्सा था।
फिर एक केबाद एक, आपसे पार्किंग, प्रिफरेंशियल लोकेशन, पार्क फेसिंग, सी फेसिंग, लेकफेसिंग, गोल्फ कोर्स फेसिंग फ्लैट, पावर बैकअप, क्लब मेंबरशिप, 4 से 5 लाख रुपये अलग से वसूले जाते हैं। मासिक रखरखाव केलिए 5 से 10 हजार रुपये अलग से लिए जाते हैं।
आपकेऔर आपकेडेवलपर केबीच सबसे अहम कड़ी है बिल्डर बॉयर एग्रीमेंट। इसी समझौते के आधार पर आप किसी भी प्रोजेक्ट में पैसा लगाने पर अंतिम राय बनाते हैं। अक्सर यह समझौता डेवलपर अपने वकीलों की मदद से तैयार करता है। आप इस पर सिर्फ हस्ताक्षर करते हैं। आपकी सहमति की कोई जगह इस मसौदे में नहीं होती। उदाहरण के तौर पर इस एग्रीमेंट में यह बात साफ नहीं होती किबिल्डर को प्रोजेक्ट केलिए जरूरी सभी तय मंजूरियां मिल चुकी है अथवा नहीं।
कई बार समझौते में आपकेप्रोजेक्ट की डिलीवरी डेट गायब रहती है। मसौदे में लिखा हो सकता है कि काम शुरू होने के48 माह केभीतर डिलीवरी दी जाएगी। लेकिन यह तय नहीं होता किअसल में काम शुरू कब होगा। सबसे बड़ा धोखा तो यहीं है।
कई बार आपकी ओर से पेमेंट की शर्त में हुए उल्लंघन केलिए बिल्डर आपकेऊपर पेनल्टी लगा देता है। मगर डेवलपर की ओर से हुई देरी के लिए किसी भी हर्जाने की कोई व्यवस्था नहीं होती। इस क्लॉज के न होने से आप अदालत में भी किसी मुआवजे की मांग नही कर सकते।
आपकेफ्लैट को बनाने में किस तरह के मैटीरियल का इस्तेमाल किया गया है इसको लेकर भी कई बार भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। कई बार इटैलियन मार्बल की जगह इटैलियन स्टाइल का मार्बल लगा कर आपको कंफ्यूज किया जाता है। प्रॉपर्टी में लग रहे काले धन को लेकर भी कई बार बड़े विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। चूंकि ऐसे लेन देन का कोई रिकॉर्ड नहीं होता, बिल्डर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आपका पैसा वापस न करने की धमकी तकदे देते हैं।