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बीयर की 11 साल से मनमानी कीमत वसूल रही थीं कंपनियां, CCI ने किया खुलासा

बीयर बनाने वाली प्रमुख कंपनियों Carlsberg SABMiller और भारत की United Breweries (UB) के बीच गुटबंदी की बात सामने आई है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने कॉमर्शियल रूप से संवेदनशील जानकारी एक-दूसरे से साझा की।

By Ankit KumarEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 05:51 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 05:25 PM (IST)
बीयर की 11 साल से मनमानी कीमत वसूल रही थीं कंपनियां, CCI ने किया खुलासा
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने 2018 में तीन बीयर कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी की थी।

नई दिल्ली, रायटर्स। बीयर बनाने वाली प्रमुख कंपनियों Carlsberg, SABMiller और भारत की  United Breweries (UB) के बीच गुटबंदी की बात सामने आई है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट को रायटर्स द्वारा देखा गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने कॉमर्शियल रूप से संवेदनशील जानकारी एक-दूसरे से साझा की। रिपोर्ट के अनुसार इन तीनों कंपनियों ने भारत में 11 साल से अधिक समय तक बीयर के दाम को आपसी गठजोड़ से फिक्स रखा और मनमानी कीमत वसूल की। 

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने 2018 में तीन बीयर कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी की थी और जांच शुरू की थी। इस जांच में जो बातें सामने आई हैं, उससे इन तीनों कंपनियों को लेकर कई सवाल उत्पन्न हो गए हैं। भारत के सात बिलियन डॉलर के बीयर मार्केट में इन तीनों कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 88 फीसद के आसपास है। हालांकि, इस मामले में कोई अंतिम फैसला अभी नहीं आया है। 

इस मामले से अवगत दो सूत्रों ने जानकारी दी है कि CCI के वरिष्ठ सदस्य अब इस रिपोर्ट पर गौर करेंगे और इन कंपनियों पर 25 करोड़ डॉलर से अधिक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट को मार्च में तैयार किया गया था।  

इस रिपोर्ट में शीर्ष अधिकारियों के बीच की बातचीत, व्हाट्सएप मैसेज और ईमेल को भी रिकॉर्ड में रखा गया है। बातचीत के इन रिकॉर्ड्स के मुताबिक इन कंपनियों ने एक-दूसरे के साथ गुटबंदी कर कई राज्यों में समय-समय पर कीमतों में बढ़ोत्तरी की।  

सीसीआई की इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों ने कीमतों पर एकसाथ निर्णय करने के लिए All India Brewers Association (AIBA) जैसे साझा मंचों का इस्तेमाल किया। इसके बाद स्थानीय समूहों ने कीमतों में वृद्धि के लिए इन कंपनियों की ओर से लॉबिंग का सहारा लिया।  

इस रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि कम-से-कम तीन बार अधिकारियों ने एक-दूसरे को संदेश भेजकर इन योजनाओं को पूरी तरह से गुप्त रखने को कहा है।  

इस रिपोर्ट में दर्ज रिकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2016 में AIBA के महानिदेशक ने इन तीनों के अधिकारियों को एक ईमेल लिखकर कहा था, ''हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम पकड़े ना जाएं।'' 

सीसीआई की 248 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तीनों कंपनियों ने आपसी गुटबंदी से सरकारी मशीनरी को गुमराह किया। साथ ही वे इस बात से अवगत थे कि एसोसिएशन (AIBA) के साथ मिलकर वे जो काम कर रहे हैं, उससे प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन हो रहा है। 

CCI ने इस संदर्भ में रायटर्स द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। वहीं, AIBA और Carlsberg ने यह कहते हुए किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया कि इस मामले में सीसीआई में कार्यवाही चल रही है।


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