मोदी सरकार के मर्जर प्लान से बैंको को सताने लगा ब्रैंड नेम खोने का खतरा
बैंको के मर्जर को लेकर सरकार को यह चिंता सता रही है कि कहीं उनका ब्रैंड नेम खतरे में न पड़ जाए
नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार इस वित्तीय वर्ष में कम से कम दो सरकारी बैंकों के मर्जर की योजना बना रही है। लेकिन उन बैंकों ने जिन्हें मर्जर या फिर बड़े बैंकों की ओर से अधिग्रहण के लिए चुना गया है, ने अपनी पहचान के खतरे को लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि लक्षित बैंकों ने कहा है कि वो चाहते हैं कि मर्जर के बाद भी उनके अस्तित्व बरकरार रहे और बिजनेस ऑपरेशंस में भी उनकी अहम भूमिका रहे। इससे पहले चार सरकारी बैंकों- सिंडीकेट बैंक, केनरा बैंक, विजया बैंक और देना बैंक ने अपनी योजना को लेकर वित्त मंत्रालय के समक्ष एक प्रजंटेशन पेश किया था।
नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक बैंक अधिकारी ने बताया, “हमने कुछ कॉम्बिनेशन पर काम किया है। इसमें एक बड़े बैंक की ओर से दो छोटे बैंकों का टेकओवर शामिल है। इसके अलावा दो छोटे लेकिन मजबूत बैंकों के मर्जर का भी मामला है। हम कुछ हाइब्रिड नामों पर विचार कर सकते हैं जो कि दोनों बैंकों के अस्तित्व को बनाए रख सकता है।”
इसके अलावा आधिकारी ने सेंच्युरियन बैंक और बैंक ऑफ पंजाब के बीच विलय के मामले का हवाला दिया जिसमें एक नई संस्था सेंच्युरियन बैंक ऑफ पंजाब का निर्माण हुआ था। आपको बता दें कि साल 2008 में इसका एचडीएफसी बैंक के साथ मर्जर हो गया था।