अगले वित्त वर्ष में बैंकों का एनपीए घटने की उम्मीद बढ़ी
इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद 1.74 लाख करोड़ रुपये बकाया कर्ज वाले बिजली क्षेत्र के एनपीए खातों पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फंसे कर्ज यानी यानी एनपीए के मामले में अगले वित्त वर्ष में बैंकों को राहत मिल सकती है। इकरा की रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि मार्च 2019 तक बैंकों का कुल एनपीए घटकर 10 फीसद रह सकता है। जून 2018 में कुल एनपीए 11.52 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार करीब 60 फीसद एनपीए के मामलों में समाधान निकालने के प्रयास हो रहे हैं।
इकरा ने कहा है कि नेट एनपीए भी घटकर 4.3 फीसद रह सकता है जो इस साल जून में 5.92 फीसद था। हालांकि रेटिंग एजेंसी ने आगाह किया है कि अगर दबावग्रस्त बैंक खातों का समाधान नहीं हुआ तो कुल एनपीए बढ़कर 12.2 फीसद और नेट एनपीए 5.6 फीसद होगा।
इकरा का अनुमान है कि 12 फरवरी के रिजर्व बैंक के सर्कुलर के अनुसार बड़े दबावग्रस्त बैंक खातों में समाधान की 180 दिनों की अवधि पूरी होने के बाद 70 बड़ी कंपनियों पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इन कंपनियों में बैंकों के 3.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज फंसे हैं। इकरा के वित्तीय क्षेत्र के प्रमुख अनिल गुप्ता ने कहा कि नया एनपीए होने के बावजूद दबावग्रस्त परिसंपत्तियों का समाधान शुरू होने से एनपीए में कमी आने की संभावना है।
सरकारी असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाना एकमात्र विकल्प: इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद 1.74 लाख करोड़ रुपये बकाया कर्ज वाले बिजली क्षेत्र के एनपीए खातों पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इससे सरकार पर अपनी असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) या असेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) बनाने का दबाव बढ़ जाएगा। बिजली कंपनियों ने हाई कोर्ट में रिजर्व बैंक के 12 फरवरी के सकरुलर को चुनौती दी थी। जिसमें 27 अगस्त तक एनपीए खातों का समाधान न होने पर कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था।
कंपनियों ने इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं। लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के विश्लेषकों का कहना है कि बिजली क्षेत्र के एनपीए के लिए एआरसी या एएमसी बनाने का ही रास्ता बचा है। ये कंपनियां सीधे तौर पर या एनसीएलटी में नीलामी से बिजली कंपनियों को खरीदें और उनका प्रबंधन करें।